National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपी सोनिया गांधी, राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने इन दोनों के साथ-साथ सैम पित्रोदा और अन्य कांग्रेस नेताओं को नोटिस जारी किया है। ये नोटिस ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की चार्जशीट पर पक्ष जानने के लिए जारी गया है। चार्जशीट के हिसाब से ये सभी आरोपी हैं। इससे पहले 25 अप्रैल को कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने ईडी से और अधिक प्रासंगिक दस्तावेज लाने और खामियों को दूर करने को कहा था। अब इस मामले में अगली सुनवाई 8 मई को होगी।
आरोपियों के पक्ष को सुनने का अधिकार छीना नहीं जा सकता- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले आरोपियों के पक्ष को सुनने का अधिकार छीना नहीं जा सकता है। मामले(National Herald Case) की अगली सुनवाई 8 मई को होगी। कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावित आरोपियों को आरोपपत्र के संज्ञान के समय सुनवाई का अधिकार है। किसी भी स्तर पर सुनवाई का अधिकार निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। स्पेशल जज विशाल गोगने ने कहा- चार्जशीट पर संज्ञान लेने के समय सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अपना पक्ष रखने का अधिकार है। जज ने कहा, ‘‘किसी भी स्तर पर पक्ष रखने का अधिकार निष्पक्ष सुनवाई की जान है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि अभी केस की तथ्यों की गुणवत्ता (मेरिट्स) पर बहस नहीं होगी। ईडी ने कहा कि अगर मामले में आरोपियों और सह-आरोपियों को सुनने के लिए नोटिस जारी किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। एजेंसी चाहती है कि मामले कि सुनवाई निष्पक्ष हो।
क्या है National Herald Case?
नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की स्थापना 1938 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी। यह स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक था, इसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड यानी एजेएल की तरफ से प्रकाशित किया जाता था। 2008 में अखबार बंद हुआ, और फिर 2010 में एक नई कंपनी बनाई गई – यंग इंडियन, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी के पास 76% हिस्सेदारी थी। कांग्रेस ने AJL को ₹90 करोड़ का कर्ज दिया। फिर यंग इंडियन ने महज ₹50 लाख में AJL का कर्ज ले लिया। इसके साथ ही AJL की देशभर की करोड़ों की प्रॉपर्टी भी यंग इंडियन के हाथ में आ गई। इस मामले में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में आरोप लगाया कि वाईआईएल ने एजेएल की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को मात्र 50 लाख रुपये में हासिल कर लिया और यह धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है।
