शशि थरूर का सधा हुआ जवाब: “मेरे पास करने के लिए और भी बेहतर काम हैं” – कांग्रेस की ट्रोलिंग पर पलटवार
राजनीति में वाकयुद्ध कोई नई बात नहीं, लेकिन जब शब्दों का शिल्पकार खुद ही केंद्र में आ जाए, तो बात खास हो जाती है। कांग्रेस सांसद और लेखक शशि थरूर एक बार फिर सुर्खियों में हैं — इस बार अपनी ही पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा ट्रोल किए जाने को लेकर। लेकिन हमेशा की तरह, थरूर ने न केवल शालीनता से जवाब दिया बल्कि यह भी जता दिया कि वे इस तरह की राजनीति से ऊपर हैं।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में एक सार्वजनिक मंच पर शशि थरूर द्वारा कुछ ऐसे बयान दिए गए जिनकी व्याख्या कांग्रेस के कुछ गुटों ने पार्टी लाइन से अलग समझा। इसके बाद सोशल मीडिया पर थरूर को लेकर कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कटाक्ष करना शुरू किया। आलोचना इस हद तक बढ़ गई कि थरूर को “BJP के प्रति नरम रवैया रखने वाला” तक कहा जाने लगा।
लेकिन राजनीति के इस “शब्दजाल” में उलझने की बजाय थरूर ने सीधा, शांत और सधा हुआ जवाब दिया:
“मेरे पास करने के लिए और भी बेहतर काम हैं, बनिस्बत कि मैं ट्रोल्स से उलझूं।”
शशि थरूर की प्रतिक्रिया: क्लासिक ‘थरूर स्टाइल’
थरूर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह राजनीति को वैचारिक विमर्श और नीति निर्माण के केंद्र में मानते हैं, न कि व्यक्तिगत कटाक्ष और गुटबाज़ी को। उन्होंने यह भी जोड़ा कि:
“मैं कांग्रेस का सच्चा सिपाही हूं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि मैं हर समय भीड़ की आवाज़ में अपनी बात कहूं। मेरी प्राथमिकता है जनता के मुद्दों पर बात करना, न कि पार्टी के अंदरूनी ड्रामे पर।”
कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति की झलक?
थरूर की यह प्रतिक्रिया उस समय आई है जब कांग्रेस पार्टी एक बार फिर अपनी संगठनात्मक स्थिरता को लेकर कई राज्यों में जूझ रही है। थरूर पहले भी कई बार नेतृत्व के चुनाव में पारदर्शिता और आंतरिक लोकतंत्र की बात उठा चुके हैं। उनके विचार स्पष्ट हैं: वे पार्टी के भीतर बदलाव की मांग करते हैं लेकिन पार्टी से बाहर जाने की बात से दूर रहते हैं।
सोशल मीडिया पर क्या हुआ?
थरूर के इस जवाब को सोशल मीडिया पर लोगों ने खासा सराहा। ट्विटर पर “#IStandWithTharoor” ट्रेंड करने लगा और कई वरिष्ठ पत्रकारों और आम लोगों ने उनकी शालीनता और परिपक्वता की सराहना की।राजनीति में असहमति एक स्वस्थ संकेत है, लेकिन जब असहमति को ट्रोलिंग में बदल दिया जाए, तो वह संवाद के बजाय टकराव का रूप ले लेती है। शशि थरूर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, न कि व्यक्तित्व पर। उनका जवाब न केवल उनकी गरिमा को दर्शाता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि राजनीति में भी भद्रता एक शक्ति हो सकती है।
आपका क्या मानना है? क्या थरूर का यह रुख कांग्रेस के लिए एक आत्ममंथन का अवसर है? कमेंट में ज़रूर बताएं।
