बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की संसदीय बोर्ड की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। पहली बार चिराग सीधे तौर पर बिहार (Bihar ) की विधानसभा राजनीति में कदम रखने जा रहे हैं, जिससे प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। चिराग चिराग किसी सामान्य सीट से चुनाव लड़ेंगे और अब इस पर मुहर भी लग चुकी है।
‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की सोच को जनता के बीच ले जाने की तैयारी
बिहार में 6 महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं। चिराग पासवान पिछले कुछ महीनों में कई न्यूज़ चैनलों और अखबारों के साथ इंटरव्यू में इस बात को साफ कर चुके हैं कि बिहार(Bihar ) उनकी प्राथमिकता है। साथ ही उन्होंने हाल ही में बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की इच्छा जताई थी। बैठक में पार्टी ने तय किया कि चिराग न केवल चुनाव प्रचार में सक्रिय रहेंगे, बल्कि खुद किसी प्रमुख सीट से उम्मीदवार भी होंगे। सूत्रों के मुताबिक, चिराग के चुनाव लड़ने से बिहार में एनडीए गठबंधन को और मजबूती मिलेगी। उनकी युवा छवि और बिहार के विकास के लिए उनकी ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की सोच को जनता के बीच ले जाने की रणनीति बनाई गई है।
चिराग पासवान की पार्टी के सांसद अरुण भारती ने ट्वीट कर चिराग पासवान के चुनाव लड़ने के फैसले की पुष्टि की है। उन्होंने लिखा है कि कार्यकर्ताओं की यह भी भावना है कि इस बार वे किसी आरक्षित सीट से नहीं, बल्कि एक सामान्य सीट से चुनाव लड़ें ताकि यह संदेश जाए कि वे अब सिर्फ एक वर्ग नहीं, पूरे बिहार का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं।
हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @iChiragPaswan जी हमेशा कहते हैं कि उनकी राजनीति बिहार केंद्रित है और उनका विजन “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” एक विकसित और आत्मनिर्भर बिहार का संकल्प है। यह तभी संभव है जब वे खुद बिहार में रहकर नेतृत्व करें।
जब मैं प्रदेश प्रभारी के रूप में गांव-गांव…
— Arun Bharti (@ArunBhartiLJP) June 1, 2025
बिहार की राजनीति में खुद को स्थापित करने की कवायद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग का यह कदम केवल चुनाव लड़ने भर का नहीं, बल्कि भविष्य की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह संभवतः आखिरी विधानसभा चुनाव माना जा रहा है और एनडीए में लंबे समय से एक युवा चेहरे की तलाश की जा रही है। चिराग खुद को उसी खाली स्थान को भरने के लिए तैयार कर रहे हैं। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव पहले ही युवा नेता के रूप में बिहार में अपनी पहचान बना चुके हैं। ऐसे में चिराग के लिए यह दोहरी चुनौती है एक ओर तेजस्वी से मुकाबला और दूसरी ओर अपनी पहचान को केंद्र की राजनीति से बिहार(Bihar )की राजनीति में शिफ्ट करना। चिराग को अब भी लोग केंद्र का नेता मानते हैं। ऐसे में चिराग पासवान खुद को तेजस्वी के मुकाबले खुद को स्थापित करना चाहते हैं। वैसे भी चिराग ने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के नारे के साथ युवा और दलित मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है।
हाल ही में सीएम नीतीश से मिले हैं चिराग
दो सप्ताह पहले चिराग पासवान सीएम हाउस में जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले। इस मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में चिराग ने केवल इतना कहा कि बिहार के विकास को लेकर उनकी सीएम से बातचीत हुई। मीडिया में खबर आई कि चिराग आगामी विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत करने पहुंचे थे। लेकिन बंद कमरे में क्या बात हुई ये नीतीश और चिराग तक ही सीमित है। नीतीश से मुलाकात से पहले चिराग पासवान तमाम मंचों और मीडिया इंटरव्यू में कह रहे थे कि वह इस बार का बिहार(Bihar ) विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोच रहे हैं, ये जरूर है कि वह 2030 में यह फैसला जरूर लेंगे। यानी चिराग साफ शब्दों में कह रहे थे कि वह 2030 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
बता दें, चिराग पासवान बीजेपी नीत एनडीए की केंद्र सरकार में मंत्री हैं। चिराग की एलजेपी ने पांच सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और 100 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। चिराग पासवान खुद हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद बने और केंद्र में उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री की जिम्मेदारी मिली। अब बिहार(Bihar ) में विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं रह गया है। ऐसे में उनकी पार्टी चाहती है कि चिराग विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरें और जीतकर बिहार के लिए काम करें।
