शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी: एक विवादित वीडियो से उपजा कानूनी और सामाजिक विवाद
परिचय:
शर्मिष्ठा पनोली, एक 22 वर्षीय लॉ छात्रा और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, को 30 मई 2025 को कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित एक वीडियो में कथित रूप से सांप्रदायिक टिप्पणियां कीं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और समाज में अशांति फैलने की आशंका उत्पन्न हुई। हालांकि, उन्होंने वीडियो हटाकर सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी थी।
गिरफ्तारी के कारण:
शर्मिष्ठा पनोली ने एक इंस्टाग्राम वीडियो में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में कुछ टिप्पणियां की थीं, जिन्हें कई लोगों ने सांप्रदायिक और भड़काऊ माना। इस वीडियो के वायरल होने के बाद, उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं। पुलिस ने उन्हें बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया।
बीएनएस की धाराएं और संभावित सजा:
शर्मिष्ठा पनोली पर बीएनएस की निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है:
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धारा 196(1)(ए): धर्म, जाति, भाषा आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना।
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धारा 299: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किए गए कार्य।
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धारा 352: शांति भंग करने की संभावना वाला जानबूझकर अपमान।
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धारा 353(1)(सी): सार्वजनिक शरारत को उकसाने वाले बयान।
इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर 3 से 5 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
न्यायिक प्रक्रिया और हिरासत:
गिरफ्तारी के बाद, शर्मिष्ठा को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उनके वकील ने कोर्ट में याचिका दायर कर जेल में सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग की है, क्योंकि उन्हें अन्य कैदियों से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं और उन्हें किडनी स्टोन की समस्या भी है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया:
शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी ने देशभर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन की बहस को जन्म दिया है। बीजेपी सांसद कंगना रनौत और कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने उनकी गिरफ्तारी की आलोचना की है। वहीं, नीदरलैंड के सांसद गीर्ट वाइल्डर्स ने भी उनकी रिहाई की मांग की है।
शर्मिष्ठा पनोली का मामला सोशल मीडिया की शक्ति, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक सहिष्णुता के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायिक प्रक्रिया में क्या निष्कर्ष निकलता है और समाज इस प्रकार के मामलों से क्या सीखता है।
