🌐 ईरान-इजरायल युद्ध के बीच ट्रंप के बयान पर भड़का चीन, कहा – “आग में घी डालने का काम कर रहे हैं”
✍️ लेखक: न्यूज़ व्यूज़ टीम | 📅 तारीख: 14 जून 2025
🌍 जब दो देशों की लड़ाई में तीसरा देश बोल पड़ा
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष ने अब वैश्विक शक्ल ले ली है। इस बार विवाद का केंद्र बना है — डोनाल्ड ट्रंप का बयान, जिस पर चीन भड़क उठा है।
ईरान-इजरायल युद्ध के इस नाज़ुक मोड़ पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो तीखा और पक्षपाती बयान दिया, उसने राजनयिक हलकों में हलचल मचा दी। और अब चीन ने इसे लेकर सीधी प्रतिक्रिया दी है।
🗣️ ट्रंप ने क्या कहा?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक रैली में कहा:
“अगर मैं सत्ता में होता, तो ईरान अब तक घुटनों पर होता। इजरायल को पूरा समर्थन मिलना चाहिए, बिना किसी देरी या शर्त के।”
ट्रंप का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब इजरायल और ईरान के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हैं, और सैकड़ों जानें जा चुकी हैं।
🐉 चीन की तीखी प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस बयान के बाद चीन ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिउ झाओ ने बीजिंग में पत्रकारों से कहा:
“ऐसे बयान न केवल शांति प्रयासों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि यह आग में घी डालने जैसा है। अमेरिका के कुछ नेताओं को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए।”
चीन का कहना है कि इस संघर्ष को कूटनीतिक तरीके से सुलझाना चाहिए, न कि युद्ध भड़काने वाले बयानों से।
📊 अंतरराष्ट्रीय राजनीति का नया मोड़
चीन की यह प्रतिक्रिया कई मायनों में अहम है:
- यह दिखाता है कि चीन खुद को मध्यस्थ की भूमिका में देखना चाहता है।
- अमेरिका और चीन के बीच राजनयिक खींचतान अब मध्य-पूर्व तक पहुंच चुकी है।
- चीन लगातार ईरान के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है, जबकि अमेरिका इजरायल के समर्थन में है।
🔍 क्या इसका असर भारत और दुनिया पर पड़ेगा?
ज़रूर। जब ऐसे दो महाशक्तियों — अमेरिका और चीन — किसी संघर्ष में अलग-अलग पक्षों का समर्थन करते हैं, तो:
- वैश्विक तेल बाज़ार अस्थिर हो सकता है
- कूटनीतिक समीकरण बदल सकते हैं
- संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं दबाव में आ जाती हैं
- भारत जैसे देश जो दोनों से अच्छे संबंध रखते हैं, उनके लिए संतुलन साधना मुश्किल हो जाता है
- 🔥 एक और धमाकेदार मोड़ — पश्चिम एशिया फिर से जंग के मुहाने पर!
पश्चिम एशिया में एक बार फिर तनाव चरम पर पहुंच चुका है। इजरायल ने हाल ही में दावा किया है कि उसने ईरान के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अली शादमानी को एक सटीक ऑपरेशन में मार गिराया है। यह कार्रवाई गुप्त खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी।
इस हमले के कुछ ही घंटों बाद, ईरान ने इजरायल के चार प्रमुख इलाकों में मिसाइलें दाग दीं, जिससे हालात और भी भड़क गए हैं। यह घटनाक्रम दुनिया को फिर से एक बड़े सैन्य टकराव की ओर ले जा सकता है।
🧠 कौन थे अली शादमानी?
जनरल अली शादमानी ईरान की सेना में एक अत्यंत प्रभावशाली और उच्च पदस्थ अधिकारी थे। वह न केवल रक्षा रणनीतियों के सूत्रधार माने जाते थे, बल्कि ईरान की कई विदेश नीति संबंधी सैन्य कार्रवाइयों में उनकी भूमिका बेहद अहम रही है।
उनकी हत्या को ईरान के लिए बड़ा झटका और इजरायल के लिए एक रणनीतिक सफलता माना जा रहा है।
🕊️ क्या शांति संभव है?
इस समय जरूरत है कूटनीति की, न कि उकसावे की। ऐसे में यदि कोई नेता आग में घी डालने का काम करता है, तो वह केवल अपने देश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए संकट बढ़ा सकता है।
चीन का यह बयान भले ही राजनीतिक हो, लेकिन इसमें कूटनीतिक सच्चाई छिपी है।
ईरान-इजरायल युद्ध ने अब केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रह गई — अब इसमें अमेरिका, चीन, रूस और यूरोप के हित भी उलझ चुके हैं। और जब डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेता बयान देते हैं, तो उससे सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि पूरे विश्व में तनाव का स्तर बढ़ जाता है।
कूटनीति ही वह एकमात्र रास्ता है, जो इस आग को बुझा सकती है।
✍️ क्या आप इस मुद्दे पर चीन के रुख से सहमत हैं? अपनी राय कमेंट में ज़रूर साझा करें।
