“अमेरिकी ठिकानों को तबाह किया जाएगा” ईरान के खामेनेई ने अमेरिका को दी धमकी
1. घटना का तत्काल विवरण
22 जून 2025 को अमेरिकी एयरस्ट्राइक ने इज़रान के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों (Fordow, Natanz, Isfahan) को निशाना बनाया, जिसमें “बंकर-बस्टर” बमों की तैनाती भी शामिल थी
दक्षिण एशिया में बैठा सबसे बड़ा पेंच यह था कि इस कार्यवाह पर इज़रान के सुप्रीम लीडर, आयातोल्लाह खामेनेई, ने कहा कि “हमने लक्ष्मण रेखा पार कर दी” — यानि अब अमेरिका के ठिकानों को भी निशाना बनाने के हकदार हैं ।
2. खामेनेई और विदेश मंत्री की चेतावनियाँ
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इराक़ी सियासी शर्तें पूरी होते ही, खामेनेई ने स्पष्ट कहा कि “अमेरिकी भागीदारी अब मेन स्टेज पर”, और उन्होंने कूटनीतिक सूझ-बूझ को बेकार करार दिया ।
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विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने यूएस के इस कदम को सबसे “खतरनाक लाल रेखा” पार की मानते हुए कहा कि अब “डिप्लोमेसी का दरवाज़ा बंद है” ।
3. इज़रानी जवाब और अमेरिकी ठिकानों पर खतरा
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इरान ने तत्काल 40 मिसाइल इज़राइल पर दागीं—हालांकि अधिकांश रक्षा प्रणालियों से टल गईं, फिर भी तेल अवीव में नुकसान हुआ ।
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साथ ही, इराक, बहरीन, कुर्सीन आधारित अमेरिकी ठिकानों को भी निशाना बनाने की चेतावनी दी गई ।
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रक्षा मंत्री अज़ीज़ नसीरजादेह ने कहा, “हमारी पहुंच में सभी अमेरिकी ठिकाने हैं, हम उन्हें बोल्डली निशाना बनाएंगे”
4. यूएस रक्षा तैयारियाँ और कूटनीतिक प्रतिक्रियाएँ
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अमेरिकी रक्षा सचिव ने जो बिलबोर्ड पर कहा कि “इस परिदृश्य में अमेरिकी संघर्ष रुकने वाला नहीं” — अमेरिकी नौसेना ने USS Nimitz को तुरंत भूमध्य सागर भेजा ।
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यूएन और यूरोपीय नेताओं ने कड़ी निंदा करते हुए तत्काल संघर्षविराम की अपील की—“इसे और गर्म होने से रोका जाना चाहिए” ।
5. मानवीय दृष्टिकोण: डर, आशंका और उम्मीद
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आम नागरिकों की खौफनाक स्थिति: मिसाइलों और हवाई हमलों से हजारों लोग विस्थापित, घायल और मर चुके हैं। तनाव ने उनके रोज़मर्रा जीवन को तहस-नहस कर दिया है ।
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जंग और बातचीत के बीच झुलसी कशमकश: कई परिवारों को लगता है कि वार्तालाप अब बंद हो चुका है—एक पिता ने कहा, “हम अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में सो नहीं पा रहे।”
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डिप्लोमैसी की मौत: अराघची की चेतावनी से स्पष्ट है कि अब “कूटनीति ग्रहणशील नहीं” बनी—लेकिन दुनिया को अब भी थोडा-बहुत वैश्विक समझौते की राह दिखाई दे रही है।
6. अब तक क्या हुआ — 22 जून 2025
🗓️ तिथि | 📌 घटना |
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11 जून | इरानी रक्षा मंत्री ने चेतावनी दी — “लक्ष्मण रेखा पार हो रही है” |
18 जून | खामेनेई ने कहा — “यूएस भागीदारी से विनाश होगा” |
21 जून सुबह | अमेरिकी एयरस्ट्राइक—Fordow, Natanz, Isfahan पर हवाई हमला |
21 जून शाम | विदेश मंत्री बोले — “डिप्लोमेसी का दरवाज़ा बंद” |
22 जून | इरान ने मिसाइल हमले, मोटी चेतावनी, अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाने की तैयारी |
अमेरिकी जवाब | USS Nimitz भेजा गया, वृहद अमेरिकी रक्षा अलर्ट जारी |
7. गहरा विश्लेषण: क्या बचा है उम्मीद की एक किरण?
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डिप्लोमेसी मार्ग: जबकि अराघची ने डिप्लोमेसी को “मृत घोषित” किया, कुछ यूरोपीय देशों ने जीनेवा वार्ता रवाना करने की कवायद शुरू की है—इसे अभी तक खतरे की एक किरण माना जा रहा है।
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तकनीकी युद्ध: इस संघर्ष में बंकर-बस्टर, हाईप्रिसिजन मिसाइल, नौसैनिक तैनाती और साइबर हमले शामिल हैं; इससे चाहिए कि सामान्य नागरिकऔर तेल बाजार की स्थिति पर अधिक असर पड़े।
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अंतरराष्ट्रीय नौकरशाही दबाव: यूएन ने इद्रीसमेंट किया; अनेकों वैश्विक संस्थाएं युद्ध को रोकने की वकालत कर रही हैं, लेकिन तब तक मानिसक और भौतिक क्षति बढ़ चुकी होगी।
ईरान की “लक्ष्मण रेखा पार” चेतावनी केवल शब्द नहीं थी — यह एक वैश्विक संकट की शुरुआत है। अमेरिका और इज़राइल की कार्रवाई ने डिप्लोमैसी को लगभग निरर्थक बना दिया है।
इसके पीछे की सबसे बड़ी कीमत मानवता, सिविलियन जीवन और वैश्विक स्थिरता को चुकानी पड़ रही है। क्या इस बार शांतिपूर्ण समझौता और होता? या यह अगला वैश्विक युद्ध की शुरुआत है?
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