ईरान-इज़रायल तनाव के बीच पीएम मोदी की शांति की अपील – क्या कूटनीति बचा सकती है दुनिया?
✍️ एक भारतीय नागरिक की ज़ुबानी
जब दुनिया युद्ध के कगार पर खड़ी हो, तो एक आवाज़ होती है जो युद्ध नहीं, शांति का रास्ता दिखाती है।
और इस बार वह आवाज़ आई है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से।
ईरान और इज़रायल के बीच तेजी से बिगड़ते हालात और लगातार बढ़ते हमलों के बीच, पीएम मोदी ने एक अहम संदेश दिया है। उन्होंने सभी पक्षों से कूटनीति के ज़रिए समाधान तलाशने की अपील करते हुए कहा कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की बहाली बेहद जरूरी है।
इस बयान का समय और महत्व दोनों बेहद खास हैं, क्योंकि पश्चिम एशिया की इस लड़ाई में अब सिर्फ दो देश नहीं, पूरी दुनिया शामिल होती दिख रही है।
💣 क्या है ईरान-इज़रायल युद्ध का मौजूदा हाल?
ईरान और इज़रायल के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन हालिया हवाई हमले, मिसाइल हमले और मिलिटेंट गुटों की सक्रियता ने स्थिति को युद्ध जैसे हालात में बदल दिया है।
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तेहरान में धमाके,
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इज़रायल की मिसाइल डिफेंस एक्टिवेशन,
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और हिज़बुल्लाह और हूती विद्रोहियों की सीधी भागीदारी — ये सभी संकेत हैं कि युद्ध अब दरवाजे पर खड़ा है।
वहीं अमेरिका ने भी कई बार ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया है और इज़रायल को हर संभव समर्थन दिया है। इससे स्थिति और जटिल हो गई है।
🕊️ पीएम मोदी का संदेश – “युद्ध नहीं, वार्ता हो”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा:
“हम सभी पक्षों से अपील करते हैं कि वे संयम बरतें, तनाव को तुरंत कम करें और बातचीत के ज़रिए समाधान निकालें। यह क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और मानवता के हित में है।”
भारत का यह रुख कोई दिखावा नहीं है। हमारे देश की हमेशा यही नीति रही है — “वसुधैव कुटुम्बकम” यानी दुनिया एक परिवार है।
पीएम मोदी ने इशारों में यह भी कहा कि भारत हर उस प्रयास का समर्थन करेगा जो इस तनाव को कम कर सके — चाहे वो UN मंच हो या किसी द्विपक्षीय वार्ता की पहल।
🇮🇳 भारत की भूमिका कितनी अहम?
भारत पश्चिम एशिया से केवल तेल या व्यापार का संबंध नहीं रखता — बल्कि वहां लाखों भारतीय नागरिक काम करते हैं।
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इन देशों में भारतीय डायस्पोरा की मौजूदगी,
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भारत के स्ट्रैटजिक रिलेशन इज़रायल और ईरान दोनों से,
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और चीन-पाकिस्तान की नजरें इस क्षेत्र पर — इन सब पहलुओं के बीच भारत एक संतुलन बनाने वाली ताकत के रूप में देखा जा रहा है।
भारत की इस स्थिति को अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी गंभीरता से देख रहा है।
🌍 क्या कूटनीति अब भी संभव है?
जहां एक ओर मिसाइलें उड़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर देशों के नेता बैकचैनल डिप्लोमेसी में लगे हैं।
भारत जैसे देशों की भूमिका इसलिए और अहम हो जाती है क्योंकि भारत दोनों पक्षों — ईरान और इज़रायल — से अच्छे संबंध रखता है।
भारत अगर शांति प्रस्ताव या मध्यस्थता की पेशकश करता है, तो उसे गंभीरता से सुना जाएगा।
🔥 अगर युद्ध बढ़ा तो क्या होगा?
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तेल की कीमतें और ऊपर जाएंगी
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ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा
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भारत में महंगाई का दबाव बढ़ेगा
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और सबसे बड़ा डर: एक और विश्व युद्ध की शुरुआत
ऐसे में पीएम मोदी का यह वक्तव्य न सिर्फ राजनयिक रूप से बल्कि मानवता के दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण बन जाता है।
इस युद्ध में कोई विजेता नहीं होगा, लेकिन अगर कूटनीति से समाधान हुआ, तो यह मानवता की जीत जरूर होगी।
पीएम मोदी की अपील एक उम्मीद की किरण है — एक ऐसी किरण जो इस युद्ध के अंधेरे को रोशनी में बदल सकती है।
अब देखने वाली बात यह है कि क्या बाकी दुनिया भी इस शांति की पुकार को सुनेगी, या गोलियों की आवाज़ ही हावी रहेगी।
