ट्रंप ने किया ईरान-इजरायल के बीच सीजफायर का ऐलान, ईरान ने फिर भी किए अटैक
इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से चली आ रही जंग के थमने का ऐलान हो चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को घोषणा की कि इज़राइल और ईरान के बीच युद्धविराम पर सहमति बन गई है और दोनों ही देश मध्यपूर्व में शांति बहाल करने को तैयार हो गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति हो गई है कि एक पूर्ण युद्धविराम होगा, सीजफायर छह घंटे के भीतर शुरू होगा और ईरान को पहले इसे पालन करना होगा। ईरान के इसे पालन करने के बाद अगले 12 घंटे बाद इजरायल भी सीजफायर में शामिल हो जाएगा।’
सीजफायर के बाद भी ईरान ने की इजराइल पर बमबारी
युद्ध विराम की घोषणा के इस ऐलान के कुछ घंटों बाद, तेहरान ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों की समाप्ति पर “कोई समझौता” नहीं हुआ है। हालांकि, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि उन्हें इस युद्ध को जारी रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है, बशर्ते कि इज़राइल अपना आक्रमण बंद कर दे। बता दें कि ईरान की तरफ से लगातार इजरायल पर बमबारी की जा रही है। इजरायली डिफेंस फोर्स ने बताया कि एक घंटे के भीतर तीन बार ईरान ने मिसाइल अटैक किए हैं और इसमें छह नागरिकों की मौत भी हो गई है। इजरायल में हमले को लेकर तेल अवीव में सायरन बज रहे हैं और लोग सेफहाउस में शिफ्ट हो रहे हैं।
अमेरिकी हमले के बाद अलग-थलग पड़ा ईरान
इजरायल के साथ जंग में ईरान के खिलाफ अमेरिका ने भी मोर्चा खोल दिया था और देश की सबसे प्रमुख न्यूक्लियर साइट फोर्डो समेत तीन ठिकानों पर बमबारी की थी,जिसमें न्यूक्लियर फैसिलिटी को काफी नुकसान की आशंका जताई जा रही है। इसके बाद मिडिल ईस्ट में जबरदस्त तनाव बढ़ गया। कतर और अमेरिकी एयरबेस पर ईरान के हमले के तुरंत बाद लगभग 10 देशों ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया। इसमें कतर, कुवैत, यूएई, इराक और मिस्र शामिल हैं। हालांकि बाद में इन्हे खोल दिया गया। वहीं, गल्फ देशों के संगठन GCC ईरान के हमले की निंदा की है और इसे कतर की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। बता दें कि ईरान को मिडिल ईस्ट के किसी भी देश का साथ नहीं मिला और उसे अकेले ही अपनी लड़ाई लड़नी पड़ी। रूस और चीन जैसे ताकतवार देशों ने ईरान को नैतिक समर्थन तो दिया लेकिन अमेरिका-इजरायल के खिलाफ जंग में खुलकर ईरान के साथ खड़े नहीं हुए।
