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अंतरिक्ष जाने वाले Shubhanshu Shukla 14 दिन तक कौन-कौन से प्रयोग करेंगे? जानिए पूरी डिटेल

Shubhanshu Shukla

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला(Shubhanshu Shukla) को अंतरिक्ष ले जाने वाला एक्सिओम-4 मिशन कई बार टलने के बाद आज (25 जून) आखिरकार सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। इस मिशन को स्पेस-X के फाल्कन-9 रॉकेट से आज दोपहर 12:01 बजे फ्लोरिडा से लॉन्च किया गया। यह यान 26 जून की शाम लगभग 04:30 बजे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) से जुड़ जाएगा। इस मिशन के जरिए 41 साल बाद भारत का कोई नागरिक अंतरिक्ष में गया है। इससे पहले साल 1984 राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी थी। ये मिशन 14 दिन का होने वाला है।

Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष पहुंचे शुभांशु

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला(Shubhanshu Shukla) ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरकर इतिहास रच दिया है। मिशन भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 12:00 बजे फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में सभी एस्ट्रोनॉट ने उड़ान भरी। ये स्पेसक्राफ्ट करीब 28.5 घंटे के बाद 26 जून को शाम 04:30 बजे ISS से जुड़ेगा। अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शुभांशु ने कहा- व्हाट ए राइड। मेरे कंधे पर लगा तिरंगा बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं। वहीं लॉन्चिंग सफल होने पर शुभांशु (Shubhanshu Shukla) के माता-पिता आशा शुक्ला और शंभु दयाल शुक्ला भावुक हो गए। उन्होंने बेटे की सफलता पर ताली बजाकर खुशी जताई।

चार यात्रियों की टीम पहुंची है ISS

25 जून 2025 को दोपहर 12:01 बजे (IST) नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट और नए ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए यह लॉन्च हुआ। इस मिशन में भारत के शुभांशु शुक्ला(Shubhanshu Shukla), एन मैक्लेन, निकोल आयर्स और पैगी व्हिटसन शामिल हैं। यह चारों यात्री लो-अर्थ ऑर्बिट में जाएंगे और ISS के हार्मनी मॉड्यूल के स्पेस फेसिंग पोर्ट पर डॉक करेंगे।  इसके बाद क्रू लगभग दो हफ्ते तक ISS पर रहकर वैज्ञानिक शोध और एजुकेशन से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा लेगा।

मूंग और मेथी, अल्गी (स्पाइरुलिना) और सूक्ष्म जीवों पर रिसर्च करेंगे शुभांशु 

अंतरिक्ष में 14 दिनों के दौरान शुभांशु शुक्ला(Shubhanshu Shukla) और उनकी टीम भारतीय सुपरफूड जैसे मूंग और मेथी, अल्गी (स्पाइरुलिना) और सूक्ष्म जीवों पर रिसर्च करेंगे। ये सभी प्रयोग भारत के वैज्ञानिकों ने तैयार किए हैं। साथ ही, शुक्ला मानव शरीर पर अंतरिक्ष के असर को लेकर भी अध्ययन करेंगे। वे अपने साथ ‘जॉय’ नाम का एक सफेद हंस जैसा खिलौना भी लेकर गए हैं, जो वहां शून्य गुरुत्व वाले माहौल को दिखाने में मदद करेगा। वह इस मिशन के दौरान छात्रों और लोगों से जुड़ने के लिए बातचीत भी करेंगे।

  • मांसपेशियों का पुनर्जनन : माइक्रोग्रैविटी में पोषण सप्लीमेंट्स का मांसपेशियों की रिकवरी और विकास पर प्रभाव जांचा जाएगा। यह मंगल मिशन और पृथ्वी पर मांसपेशी रोगों के लिए उपयोगी हो सकता है।
  • मूंग और मेथी का अंकुरण : मूंग और मेथी के बीजों का अंतरिक्ष में अंकुरण और विकास का अध्ययन। यह अंतरिक्ष में खेती के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
  • माइक्रोएल्गी: भविष्य का सुपरफूड: स्पिरुलिना और साइनोकोस जैसे सूक्ष्म शैवालों की वृद्धि और प्रोटीन उत्पादन का विश्लेषण। ये बंद-लूप जीवन समर्थन प्रणालियों में सहायक होंगे।
  • टार्डीग्रेड की जीवटता : अंतरिक्ष की चरम स्थितियों में टार्डीग्रेड (वाटर बेयर) की जीवित रहने और प्रजनन क्षमता का अध्ययन।
  • मानव-तकनीकी इंटरैक्शन : माइक्रोग्रैविटी में स्क्रीन डिस्प्ले पर आंख-हाथ समन्वय और संज्ञानात्मक कार्यों पर मानव व्यवहार का विश्लेषण।
  • फसलों पर अंतरिक्ष का प्रभाव : छह फसली बीजों की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान वृद्धि और परिवर्तन का अध्ययन। यह भारत-केंद्रित कृषि अनुसंधान का हिस्सा है।
  • संज्ञानात्मक प्रभाव : कंप्यूटर स्क्रीन से जुड़े तनाव, नेत्र गति और उपयोग के बदलावों का विश्लेषण।
Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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