कोलकाता लॉ कॉलेज में गैंगरेप की दिल दहला देने वाली घटना — जब न्याय की शिक्षा देने वाला संस्थान खुद अन्याय का गवाह बना
कोलकाता, एक शहर जो कभी “सांस्कृतिक राजधानी” कहलाता था, आज फिर एक शर्मनाक घटना की वजह से सुर्खियों में है। इस बार आरोप किसी सड़कछाप अपराधी पर नहीं, बल्कि देश की न्याय व्यवस्था के भविष्य को गढ़ने वाले एक लॉ कॉलेज पर है। साउथ कोलकाता के एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ परिसर में ही गैंगरेप की घटना ने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है — क्या हमारे शिक्षण संस्थान सुरक्षित हैं?
📍 क्या हुआ है इस केस में?
मामला सामने आया है कोलकाता के नामी South Kolkata Law College का, जहां एक छात्रा के साथ कॉलेज परिसर में ही गैंगरेप की बात सामने आई है।
पुलिस जांच के मुताबिक, इस शर्मनाक हरकत में कॉलेज स्टाफ के एक सदस्य और दो पूर्व छात्र शामिल हैं।
घटना उस समय हुई जब पीड़िता किसी निजी कारण से कॉलेज में देर तक रुकी थी। भरोसेमंद जगह माने जाने वाले कॉलेज परिसर में ही उस पर यह दरिंदगी हुई।
🔎 कौन हैं आरोपी?
जांच के दौरान जिन लोगों की पहचान हुई है, उनमें से एक कॉलेज प्रशासन से जुड़ा बताया जा रहा है, जबकि अन्य दो पूर्व छात्र हैं।
इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इन तीनों ने कॉलेज के ही एक खाली रूम को घटना के लिए चुना।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा:
“मुझे भरोसा था कि कॉलेज मेरी दूसरी दुनिया है, लेकिन वहां जो हुआ, उसने मेरी ज़िंदगी और सोच दोनों को तोड़ दिया।”
🚨 FIR दर्ज, जांच शुरू
पुलिस ने IPC की धारा 376D (गैंगरेप), 342 (ग़ैर-क़ानूनी रूप से बंधक बनाना) और अन्य गंभीर धाराओं में FIR दर्ज कर ली है।
अब तक:
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पीड़िता का मेडिकल परीक्षण हो चुका है
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तीनों आरोपियों में से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है
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तीसरे की तलाश ज़ोरों पर है
कोलकाता पुलिस की एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) भी बनाई गई है जो मामले की गहराई से जांच कर रही है।
⚖️ क्या कह रही है कॉलेज प्रशासन?
कॉलेज प्रशासन ने एक संक्षिप्त बयान में कहा:
“हम घटना से स्तब्ध हैं। कानून अपना काम करेगा। हमने एक आंतरिक समिति गठित की है और पूरी जांच में सहयोग दे रहे हैं।”
लेकिन छात्र संघ और कई स्थानीय संगठन इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन ने शुरू में मामले को दबाने की कोशिश की।
💔 लोगों में आक्रोश और डर
इस घटना से छात्र समुदाय में गहरा डर और गुस्सा है। कॉलेज के बाहर कई छात्रों ने प्रदर्शन करते हुए कहा:
“अगर लॉ कॉलेज में ही एक लड़की सुरक्षित नहीं है, तो हम कहां सुरक्षित हैं?”
“हम न्याय पढ़ते हैं, पर उसे होते देखना चाहते हैं।”
🧠 विशेषज्ञों की राय
मानवाधिकार कार्यकर्ता रेणु भट्टाचार्य कहती हैं:
“ऐसे मामलों में सिर्फ गिरफ्तारी काफी नहीं होती। ज़रूरी है कि कॉलेजों की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए।”
वहीं साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि पीड़िता को लंबे समय तक मानसिक सहयोग की ज़रूरत होगी।
📢 यह सिर्फ एक केस नहीं, एक चेतावनी है
यह घटना महज एक आपराधिक केस नहीं है — यह हमारे समाज, हमारे शैक्षणिक संस्थानों और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक कठोर चेतावनी है।
जब न्याय की शिक्षा देने वाला संस्थान ही अन्याय का अड्डा बन जाए, तो फिर देश के युवाओं को किस पर भरोसा होगा?
अब वक्त है कि शिक्षण संस्थानों में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, सुरक्षा और नैतिकता की भी ज़िम्मेदारी तय हो।
ये घटना किसी एक लड़की की नहीं, हर छात्रा, हर माता-पिता और हर शिक्षक की चिंता बन चुकी है।
न्याय जल्दी हो, और सख्त हो — ताकि ये घटना दोहराई न जाए।
