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Maharashtra में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी का आदेश वापस, विवादों के बीच सरकार बनाई नई कमेटी

Maharashtra Government

Maharashtra Tri Language Policy Order: राज्य में हिंदी ‘थोपने’ के खिलाफ बढ़ते आक्रोश के बीच महाराष्ट्र सरकार(Maharashtra government) ने रविवार को तीन भाषा नीति से जुड़े अपने 16 और 17 अप्रैल को जारी दो आदेश (GR) वापस ले लिए हैं। इस आदेश के तहत सरकार ने इसी साल अप्रैल में कक्षा 1 से 5वीं तक तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। ये जानकारी महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी। इस दौरान उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार भी साथ थे।

शिक्षाविद नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में नई कमेटी बनाई गई

महाराष्ट्र CM देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- तीन भाषा नीति को लेकर शिक्षाविद नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसके रिपोर्ट के बाद ही हिंदी की भूमिका पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। फडणवीस ने पूर्व CM उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाते हुए कहा- CM रहते उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक तीन भाषा नीति शुरू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकारा था। साथ ही नीति लागू करने पर समिति गठित की थी। सीएम फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक समिति की सिफारिशें नहीं आतीं, तब तक थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी से संबंधित दोनों GR रद्द किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए मराठी भाषा ही केंद्रबिंदु है।

कक्षा 1-5वीं तक हिंदी को तीसरी लैंग्वेज बनाया था

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार(Maharashtra government) ने इसी साल 16 अप्रैल में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया था। कक्षा 1 से 5वीं तक पढ़ने वाले स्टूडेंट्स तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा भी दूसरी भारतीय भाषाएं चुन सकते हैं। विरोध के बाद 17 जून को संशोधित आदेश जारी किया था, जिसमें हिंदी को ऑप्शनल बनाया गया। ये फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्राथमिक स्तर पर चरणबद्ध क्रियान्वयन का हिस्सा था। हालांकि आदेश में यह भी उल्लेख था कि अगर किसी कक्षा में कम से कम 20 छात्र हिंदी की जगह कोई अन्य भारतीय भाषा चुनना चाहें, तो स्कूल को उस भाषा के शिक्षक की व्यवस्था करनी होगी या फिर वह विषय ऑनलाइन पढ़ाया जा सकता है।

विपक्षी पार्टियों ने दी थी आंदोलन करने की चेतावनी

सरकार(Maharashtra government) के इस आदेश के खिलाफ विपक्ष लगातार विरोध कर रहा था। उनका आरोप था कि सरकार क्षेत्रीय भाषाओं को नज़रअंदाज़ कर हिंदी को बढ़ावा दे रही है, जिससे राज्य की भाषाई विविधता और मराठी अस्मिता को नुकसान हो सकता है। राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इस नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और मराठी भाषी लोगों से सड़कों पर आकर अपना विरोध जताने की अपील की। हिंदी भाषा विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त रैली निकालने की बात भी कही थी। जिसे सरकार के फैसले के बाद रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा- हिंदी थोपने की कोशिश विफल।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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