“विपक्ष कांवड़ियों को दारू-पकोड़ा खिलाना चाहता है?” भड़क उठे हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास
✍️ एक आम हिंदू श्रद्धालु की नज़र से:
श्रावण मास आते ही देश भर में कांवड़ यात्रा की गूंज सुनाई देने लगती है। भोलेनाथ के भक्तों की यह यात्रा न केवल आस्था की मिसाल है, बल्कि हिंदू संस्कृति की जीवंत तस्वीर भी। लेकिन इस बार यह धार्मिक उत्सव सियासी विवादों की चपेट में आ गया है।
हनुमानगढ़ी अयोध्या के प्रमुख महंत राजू दास का बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने विपक्ष पर कांवड़ियों की आस्था का अपमान करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि “विपक्ष और कुछ कथित संगठन कांवड़ियों को दारू पिलाना और मीट खिलाना चाहते हैं। क्या ये हमारी संस्कृति के खिलाफ खुला षड्यंत्र नहीं?”
🔥 क्या कहा महंत राजू दास ने?
राजू दास ने साफ शब्दों में कहा:
“सरकार की गाइडलाइन साफ है कि कांवड़ मार्ग पर आने वाले दुकानदार अपनी पहचान जाहिर करें। ऐसे में जो दुकानदार हिंदू नहीं हैं, उनकी पहचान भी जरूरी है। ये हमारी सुरक्षा का विषय है।“
उनका यह बयान उस समय आया जब ‘हिंदू सेवा सुरक्षा संघ’ ने यह मांग की कि कांवड़ मार्ग पर दुकानों पर नाम और धर्म की पहचान साफ तौर पर होनी चाहिए, ताकि कांवड़ियों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों।
🙏 कांवड़ यात्रा क्यों है खास?
कांवड़ यात्रा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह भारत की संस्कृति, सहनशीलता और भक्ति का प्रतीक है। लाखों शिवभक्त अपने कंधों पर कांवड़ लेकर, हरिद्वार, गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थलों से गंगाजल लाते हैं और अपने गांव या शहर के शिव मंदिर में जल अर्पण करते हैं।
यह यात्रा सद्भाव, सेवा और संयम की मिसाल है। ऐसे में अगर कोई संगठन या राजनीतिक दल इसमें विघ्न डालने की कोशिश करता है तो उसे गंभीरता से लेना जरूरी है।
🕉️ क्या यह केवल सुरक्षा की बात है या राजनीति भी?
महंत राजू दास का यह बयान एक ओर श्रद्धालुओं की सुरक्षा की बात करता है, तो दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा करता है —
क्या धर्म को लेकर सियासत गर्माने की कोशिश हो रही है?
कुछ विपक्षी नेताओं ने इस बयान को ध्रुवीकरण की राजनीति बताया है, जबकि महंत राजू दास और उनके समर्थक इसे हिंदू आस्था की रक्षा का मुद्दा कह रहे हैं।
📜 सरकार की गाइडलाइन क्या कहती है?
उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा को लेकर कुछ स्पष्ट गाइडलाइन जारी की हैं:
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कांवड़ मार्ग पर साफ-सफाई और सुरक्षा सुनिश्चित हो।
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भक्ति संगीत के अलावा कोई अश्लील या भड़काऊ गाना न बजे।
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रास्ते पर लगने वाली हर दुकान पर दुकानदार का नाम साफ लिखा हो।
इसका उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा और आस्था की रक्षा है, न कि किसी धर्म विशेष को निशाना बनाना।
🤔 मुद्दा क्या है – भक्ति या पहचान?
बहस इस बात की नहीं है कि कौन क्या बेच रहा है, बल्कि मुद्दा यह है कि क्या कांवड़ियों को उनकी श्रद्धा के विपरीत भोजन या सामग्री परोसी जा रही है?
अगर वाकई ऐसा हो रहा है तो यह न केवल धार्मिक भावनाओं का अपमान है, बल्कि समाज में तनाव फैलाने की कोशिश भी हो सकती है।
📢 सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर राजू दास के बयान को मिला-जुला समर्थन मिला है:
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कुछ लोगों ने कहा: “धर्म की आड़ में राजनीति नहीं होनी चाहिए।“
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वहीं कई हिंदू संगठनों ने कहा: “ये बयान जरूरी था क्योंकि हमारी आस्था से कोई समझौता नहीं हो सकता।“
🧘♂️ क्या होना चाहिए रास्ता?
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सरकार को गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराना चाहिए।
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किसी भी दुकान या व्यक्ति को कांवड़ियों की भावनाओं के विपरीत कोई उत्पाद बेचने से रोका जाए।
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साथ ही, धर्म के नाम पर नफरत फैलाने से भी बचा जाए। भारत विविधताओं वाला देश है और यहां आस्था के साथ सहिष्णुता भी जरूरी है।
कांवड़ यात्रा श्रद्धा का विषय है, राजनीति का नहीं। महंत राजू दास का बयान एक चेतावनी है — “हिंदू सहता है, लेकिन सहनशीलता को कमजोरी मत समझो।”
अगर किसी की नीयत वाकई आस्था को चोट पहुंचाने की है तो समाज को एकजुट होकर उसका जवाब देना चाहिए।
