वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची RJD, चुनाव आयोग के फैसले को दी चुनौती
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में संशोधन का एलान किया है, जिसका कई विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं। विपक्ष चुनाव आयोग के फैसले की टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं। साथ ही उसे मनमाना भी करार दिया है। इस बीच, RJD ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महागठबंधन ने इस मामले को लेकर 9 जुलाई को चक्का जाम का ऐलान भी किया है. हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता के लिए जरूरी है।
चुनाव आयोग के निर्देश को लेकर RJD खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के चुनाव आयोग के निर्देश को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर से राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस फैसले को चुनौती दी है। मनोज झा ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की सुप्रीम कोर्ट से मांग की है। इससे पहले एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और TMC सांसद महुआ मोइत्रा भी चुनाव आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दे चुके है। इन याचिकाओं मे कहा गया है चुनाव आयोग का यह फैसला मनमाना है और इसके चलते बिहार के लाखों मतदाताओं का मतदान का अधिकार छीन जाएगा।
चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट रिवीजन करने का लिया फैसला
दरअसल, बिहार चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का फैसला किया है। इसके लिए चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेजों के नाम जारी किए हैं, जिनमें से मतदाताओं को कोई 1 दस्तावेज दिखाना अनिवार्य होगा। चुनाव आयोग के अनुसार, पुनरीक्षण प्रक्रिया 1 जुलाई से 31 जुलाई तक चलेगी। पुनरीक्षण के बाद 1 अगस्त को नई मतदाता सूची जारी की जाएगी और 1 सितंबर तक शिकायत दर्ज करने का अधिकार होगा। वहीं, 30 अगस्त तक दस्तावेज न देने पर जांच होगी और उसके बाद ही नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा।
