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पाकिस्तान ने OIC में भारत के खिलाफ खोला मोर्चा, पानी पर मचाया शोर

पाकिस्तान ने OIC में भारत के खिलाफ खोला मोर्चा

पाकिस्तान ने OIC में भारत के खिलाफ खोला मोर्चा, पानी पर मचाया शोर

सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित OIC (Organisation of Islamic Cooperation) की 25वीं मानवाधिकार बैठक में एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत को लेकर पुराने राग अलापा। इस बार निशाने पर था — सिंधु जल संधि, जिस पर पाकिस्तान ने भारत पर संधि को “कमजोर” करने और “पानी रोकने की धमकी” देने का आरोप लगाया।

🟠 H2: क्या है सिंधु जल संधि और क्यों है ये इतना संवेदनशील?

सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इसके तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का नियंत्रण मिला और पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियाँ (झेलम, चेनाब, सिंधु)।
पाकिस्तान का आरोप है कि भारत इस संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है, जबकि भारत हर बार साफ कर चुका है कि वह संधि का पालन कर रहा है।

🔴 H3: जेद्दा में पाकिस्तान की ‘पानी-पानी’ स्थिति

पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने OIC की IPHRC बैठक में भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि,

“भारत एकतरफा सिंधु जल संधि को कमजोर कर रहा है और पाकिस्तान के हिस्से के पानी को रोकने की धमकी देता है।”

उन्होंने मुस्लिम देशों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करें।
मगर इस बयान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ज़्यादा गंभीरता नहीं मिली, और ना ही कोई बड़ा समर्थन पाकिस्तान के पक्ष में दिखाई दिया।

🟢 H3: भारत का रुख – ‘हम संधि का पूरी तरह पालन कर रहे हैं’

भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि सिंधु जल समझौता अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मजबूत है और भारत ने कभी इसका उल्लंघन नहीं किया है।
हाल ही में भारत ने यह भी संकेत दिया था कि अगर पाकिस्तान बार-बार उकसावे वाली नीति अपनाएगा, तो भारत अपने हिस्से के अधिकारों का पूरी तरह उपयोग करेगा — यानी बिना संधि तोड़े भी भारत अपनी पूर्वी नदियों का जल रोक सकता है।

🔵 H3: OIC और मुस्लिम देशों का रुख कैसा रहा?

OIC में शामिल सऊदी अरब, UAE, तुर्की और कतर जैसे देशों ने इस मामले में कोई आधिकारिक समर्थन नहीं दिया। अधिकांश देशों ने इस विषय को “भारत-पाक का द्विपक्षीय मुद्दा” बताते हुए किनारा कर लिया।

इससे साफ है कि पाकिस्तान की रणनीति – भारत को पानी और मुस्लिम देशों की सहानुभूति के मोर्चे पर घेरने की – कमजोर पड़ती दिखी है।


H2: निष्कर्ष: क्या पाकिस्तान की ‘पानी कूटनीति’ काम आई?

पाकिस्तान की हालत दिन-ब-दिन कूटनीतिक मोर्चे पर कमजोर हो रही है। पानी जैसे मुद्दे पर भावनात्मक अपील OIC में शायद पहले असर डालती हो, लेकिन आज की दुनिया तथ्यों और भरोसे पर चलती है।

भारत जैसे विशाल लोकतंत्र और आर्थिक ताकतवर देश को सिर्फ “शिकायतें” करके कोई देश लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेर नहीं सकता।
पाकिस्तान को अब पानी के बहाने नहीं, अपने सिस्टम और नेतृत्व के बहाव को बदलने की ज़रूरत है। सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित OIC (Organisation of Islamic Cooperation) की 25वीं मानवाधिकार बैठक में एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत को लेकर पुराने राग अलापा। इस बार निशाने पर था — सिंधु जल संधि, जिस पर पाकिस्तान ने भारत पर संधि को “कमजोर” करने और “पानी रोकने की धमकी” देने का आरोप लगाया। सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इसके तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का नियंत्रण मिला और पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियाँ (झेलम, चेनाब, सिंधु)।
पाकिस्तान का आरोप है कि भारत इस संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है, जबकि भारत हर बार साफ कर चुका है कि वह संधि का पालन कर रहा है।

पाकिस्तान ने OIC में भारत के खिलाफ खोला मोर्चा, पानी पर मचाया शोर

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Author: newsviewss

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