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रूस-यूक्रेन युद्ध में नया मोड़: पुतिन तैयार शांति वार्ता को, लेकिन रख दी ये ‘बड़ी’ शर्त

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रूस-यूक्रेन युद्ध में नया मोड़: पुतिन तैयार शांति वार्ता को, लेकिन रख दी ये ‘बड़ी’ शर्त


रूस और यूक्रेन के बीच साल 2022 से जारी खूनी संघर्ष अब एक नई दिशा में बढ़ता नज़र आ रहा है। लंबे समय तक बम, मिसाइल और टैंक की भाषा बोलने के बाद अब पहली बार क्रेमलिन की ओर से शांति वार्ता के संकेत मिले हैं।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इस ‘शांति’ की एक बड़ी कीमत है — रूस के रणनीतिक हितों को स्वीकार करना।


🇷🇺 क्रेमलिन का बयान: “हम तैयार हैं, लेकिन…”

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने हाल ही में बयान दिया है कि रूस शांति वार्ता के लिए तैयार है, परंतु रूस अपने मुख्य उद्देश्य से पीछे नहीं हटेगा।

यह साफ कर दिया गया है कि कोई भी बातचीत तभी होगी जब रूस की “सुरक्षा चिंताओं” और “क्षेत्रीय स्वार्थों” को मान्यता मिलेगी।

सीधे शब्दों में कहें तो रूस यूक्रेनी ज़मीन पर अपने कब्जे को लेकर पीछे हटने के मूड में नहीं है।


🇺🇦 यूक्रेन की प्रतिक्रिया: “कोई सौदा ज़मीन के साथ नहीं”

यूक्रेन ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की की सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि वे कोई भी समझौता “यूक्रेन की ज़मीन की कीमत पर” नहीं करेंगे।

यूक्रेन का मानना है कि यदि आज उन्होंने पीछे हटकर कोई रियायत दी, तो कल रूस फिर किसी और शहर या प्रांत पर हमला कर सकता है।


🔍 क्या पुतिन गंभीर हैं?

विशेषज्ञों के अनुसार, यह बयान अंतरराष्ट्रीय दबाव और युद्ध के आर्थिक प्रभाव को देखते हुए आया है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है।

इसके साथ ही यूक्रेन को लगातार मिल रही नाटो और अमेरिकी मदद ने युद्ध को एक लंबे संघर्ष में बदल दिया है।

पुतिन का यह कदम शायद एक ‘रणनीतिक ब्रेक’ लेने का तरीका भी हो सकता है।


🕊️ शांति की संभावना कितनी?

शांति वार्ता के लिए माहौल तो बन रहा है, लेकिन दोनों देशों के स्टैंड इतने अलग हैं कि एक समझौते तक पहुंचना आसान नहीं होगा।

  • रूस चाहता है कि उसका कब्जा कानूनी रूप से मान्य हो

  • यूक्रेन चाहता है कि रूस पीछे हटे

  • अमेरिका और यूरोप चाहते हैं कि रूस को सबक सिखाया जाए

ऐसे में यह ‘शांति वार्ता’ कितनी दूर तक जाएगी, कहना मुश्किल है।


🌍 भारत और विश्व की भूमिका

भारत ने इस पूरे युद्ध में तटस्थ कूटनीति अपनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि “आज का युग युद्ध का नहीं है।”

भारत, चीन, तुर्की जैसे देश मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं — यदि पश्चिम और रूस तैयार हों।


📌 निष्कर्ष: क्या युद्ध थमेगा?

रूस का यह बयान एक ‘सॉफ्ट पोजिशनिंग’ है — यानी वह युद्ध बंद करना नहीं चाहता, लेकिन अब सीधे टकराव की जगह बातचीत की भाषा का उपयोग कर रहा है।

युद्ध तभी थमेगा जब दोनों पक्ष ‘स्वाभिमान’ के आगे ‘संवेदनशीलता’ को प्राथमिकता देंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध में नया मोड़: पुतिन तैयार शांति वार्ता को, लेकिन रख दी ये ‘बड़ी’ शर्त

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Author: newsviewss

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