जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग की तैयारी – 145 सांसदों ने किया समर्थन
क्या है पूरा मामला?
भारतीय न्यायपालिका में एक बड़ा घटनाक्रम तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में, इस प्रस्ताव पर लोकसभा और राज्यसभा के 145 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किए।
कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन के मुताबिक, “60 से अधिक सांसदों ने राज्यसभा में हस्ताक्षर किए हैं, जबकि लोकसभा में यह संख्या 85 पार कर चुकी है।” इन दस्तावेजों को दोनों सदनों के स्पीकर और चेयरमैन को सौंपा गया है।
महाभियोग प्रस्ताव का कारण क्या है?
हालांकि अभी तक प्रस्ताव में उल्लिखित आरोपों का पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, इसमें न्यायिक पक्षपात, नैतिक कदाचार और संविधान की मर्यादा के उल्लंघन जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
जस्टिस वर्मा पर लगे इन आरोपों की सत्यता जांच का विषय है, लेकिन विपक्ष इसे एक “संवैधानिक जवाबदेही की पहल” कह रहा है।
महाभियोग की प्रक्रिया क्या है?
भारत में किसी सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग चलाना आसान नहीं होता। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 124(4) और जज इंक्वायरी एक्ट, 1968 के तहत यह प्रक्रिया तय की गई है:
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किसी एक सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में कम से कम 100 सांसदों (राज्यसभा) या 50 सांसदों (लोकसभा) का समर्थन जरूरी होता है।
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प्रस्ताव पर जांच के लिए एक 3 सदस्यीय समिति गठित की जाती है।
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यदि समिति आरोपों की पुष्टि करती है, तो संसद के दोनों सदनों में 2/3 बहुमत से यह प्रस्ताव पास होना चाहिए।
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अंततः राष्ट्रपति इस पर निर्णय लेते हैं।
क्या कह रही है सरकार?
सरकार की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं ने इसे “राजनीतिक स्टंट” बताया है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह न्यायपालिका की स्वायत्तता पर सीधा हमला है।
विपक्ष की मांग और बयान
कांग्रेस, AAP, DMK समेत अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि न्यायपालिका की पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए यह कदम जरूरी है। नासिर हुसैन के अनुसार, “हम न्यायपालिका के सम्मान में विश्वास करते हैं, लेकिन जवाबदेही भी उतनी ही जरूरी है।”
जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग प्रस्ताव का संसद में आना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर लेकिन जरूरी पड़ाव हो सकता है। यदि यह प्रस्ताव आगे बढ़ता है, तो यह देश की न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को एक नई दिशा देगा।
जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग की तैयारी – 145 सांसदों ने किया समर्थन | Impeachment Motion 2025
