“सनातन को टारगेट करना बंद करो”: कांवड़ यात्रा पर बयानबाजी से नाराज़ हुए महंत राजू दास
उत्तर प्रदेश की पवित्र कांवड़ यात्रा एक धार्मिक आस्था का पर्व है। हर साल लाखों श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन होकर जल लेकर अपने आराध्य को अर्पित करने निकलते हैं। लेकिन इस बार कांवड़ यात्रा सुर्खियों में है, धार्मिक आस्था के कारण नहीं, बल्कि बयानबाज़ी और विवादों के चलते।
हनुमानगढ़ी अयोध्या के प्रतिष्ठित महंत राजू दास इस पर मुखर हुए हैं और उन्होंने साफ कहा कि —
“कांवड़ यात्रा के नाम पर सनातन धर्म को टारगेट किया जा रहा है। यह सिर्फ आलोचना नहीं, एक गहरी साजिश है।”
🚩 कांवड़ यात्रा: आस्था या राजनीति का मंच?
कांवड़ यात्रा हर साल श्रावण मास के दौरान आयोजित होती है, जब भक्तजन शिव के लिए गंगा जल लेकर लंबी पदयात्रा करते हैं। यह ना केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।
लेकिन हाल के वर्षों में यह यात्रा कुछ वर्गों के निशाने पर रही है। सोशल मीडिया, राजनीतिक गलियारों और कुछ टीवी डिबेट्स में इसे ट्रैफिक जाम, ध्वनि प्रदूषण और “शो ऑफ फेथ” कहकर बदनाम किया जाता है।
🗣️ क्या बोले महंत राजू दास?
अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी के प्रमुख महंत राजू दास ने कांवड़ यात्रा को लेकर हो रही आलोचनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया दी है:
“हर बार सनातन से जुड़ी चीजों पर सवाल उठाए जाते हैं। कभी जुलूस को लेकर, कभी जय श्रीराम बोलने पर, कभी मंदिर निर्माण पर – ये सब धर्म को कमजोर करने की कोशिशें हैं।”
उन्होंने आगे कहा:
“क्या अन्य धर्मों के जुलूसों या त्योहारों पर ऐसे सवाल उठते हैं? नहीं! क्योंकि यह एक सोची समझी साजिश है – सनातन धर्म की छवि को धूमिल करने की।”
🔎 हाल की घटनाएं जो विवाद का कारण बनीं
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दिल्ली के शाहदरा में कांवड़ मार्ग पर कांच फैलाने की घटना – इसे लेकर धार्मिक भावना भड़काने का मामला दर्ज हुआ।
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सोशल मीडिया पर मीम्स और कटाक्ष – जहां कांवड़ यात्रा को “अव्यवस्था” और “हंगामा” कहकर मज़ाक उड़ाया गया।
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राजनीतिक बयानबाजी – कुछ नेताओं ने यात्रा को “प्रदर्शन की राजनीति” तक कह डाला।
💬 सनातन पर बार-बार हमला क्यों?
महंत राजू दास के अनुसार, ये घटनाएं संयोग नहीं, प्रयोग हैं —
“किसी भी धार्मिक आयोजन में छोटी घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन उन्हें सनातन धर्म पर सवाल खड़े करने के लिए इस्तेमाल करना दुर्भावना है।”
सनातन धर्म में सहिष्णुता, भक्ति और अहिंसा का समावेश है। लेकिन जब कोई परंपरा लाखों लोगों को जोड़ती है, तो उसे “लक्षित” करना एक तरह से देश की संस्कृति पर हमला है।
🙏 क्या कहते हैं श्रद्धालु?
श्रावण के इस पुण्य महीने में जिन भक्तों से बात की गई, उनका एक ही स्वर था:
“कांवड़ यात्रा हमारी आत्मा की यात्रा है। इसमें रुकावट डालना या उसका मजाक उड़ाना हमारी आस्था पर चोट है।”
🔧 समाधान क्या है?
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सरकार और प्रशासन को यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करनी चाहिए।
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सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और भ्रामक पोस्ट पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
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धार्मिक मामलों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए।
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सभी धर्मों का सम्मान हो — यही भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
कांवड़ यात्रा सिर्फ पदयात्रा नहीं, यह उस अनंत विश्वास की यात्रा है जो हजारों वर्षों से अडिग खड़ी है।
अगर एक धर्म के अनुयायियों की आस्था पर बार-बार हमला होता है, तो यह सवाल हम सबके लिए हैं।
महंत राजू दास की बात हमें सोचने पर मजबूर करती है — क्या भारत जैसा धर्मनिरपेक्ष देश किसी धर्म विशेष को बार-बार निशाना बनाने की इजाज़त दे सकता है?
🙏 “धर्म से बड़ा कोई संविधान नहीं, और संविधान में धर्म की इज्ज़त है। आइए, उसे बचाएं।”
“सनातन को टारगेट करना बंद करो”: कांवड़ यात्रा पर बयानबाजी से नाराज़ हुए महंत राजू दास
