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Puri Rath Yatra: जगन्नाथ मंदिर के रहस्य जान आप भी हो जाएंगे हैरान, रसोई से लेकर हवा भी यहां रहस्यमयी

वैसे तो आपने जगन्नाथ मंदिर के बारे बहुत रहस्य सुने होंगे कि वहां पताका हवा की विपरित दिशा में लहराता है, मंदिर के ऊपर कोई वायुयान नहीं गुजर सकता….यहां की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। तो आइए जनाते हैं जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कुछ रोचक किस्सों के बारे में..

जगन्नाथ मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर

जगन्नाथ मंदिर भारत का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। इतना ही नहीं यहां दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर भी है जिसमें 500 रसोइए 300 सहयोगियों मिलकर भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद बनाते हैं, मंदिर में प्रतिदिन प्रसाद 20 हजार लोगों के लिए प्रसाद बनता है लेकिन किसी दिन एक लाख लोग भी आ जाएं तो प्रसाद घटता नहीं है

मंदिर की रसोई भी बेहद रहस्यमयी

इस मंदिर की रसोई का एक रहस्य और भी है जो सबको हैरान कर देती है, दरअसल, यहां भक्तों के लिए प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन में ही प्रसाद सबसे पहले पकता है, फिर नीचे की तरफ एक के बाद एक बर्तन में रखा प्रसाद पकता जाता है।

शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा के विपरीत लहराता है

पुरी में दिन के समय हवा समुद्र से धरती की तरफ चलती है और शाम को धरती से समुद्र की तरफ, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां यह प्रक्रिया उल्टी है। अब ऐसा क्यों है, ये रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है।वहीं जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा के विपरीत लहराता है। कहते हैं कि मंदिर के अंदर समुद्र की लहरों की आवाज किसी को भी सुनाई नहीं देती है, जबकि समुद्र पास में ही है, लेकिन आप जैसे ही मंदिर से एक कदम बाहर निकालेंगे, वैसे ही समुद्र के लहरों की आवाज स्पष्ट सुनाई देने लगती है तो अपने आप में ही सबसे बड़ा रहस्य है।

मंदिर के ऊपर से ना हवाई जहाज गुजरता है ना पक्षी

कहते हैं कि पुरी जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से न ही कभी कोई हवाई जहाज उड़ता है और न ही कोई पक्षी मंदिर के शिखर पर बैठता है। ऐसा भारत के किसी भी मंदिर में नहीं देखा गया है। प्राय: ऊंचे मंदिर के गुंबदों पर पक्षी बैठे हुए देखे जा सकते हैं। मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है। मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है।

किताबें, ग्रंथों के साथ ही खजाना भी रहस्यमयी

इस मंदिर के एक नहीं हजारों रहस्य है। यहां कई रहस्यमयी किताबें, ग्रंथों के साथ ही खजाने भी रखे हुए होने की बात कहीं जाती है, एक ऐसा भी समय था जबकि सैंकड़ों वर्षों के लिए मंदिर रेत में दब गया था और भविष्यवाणी है कि आने वाले समय में भी ऐसा होने वाला है

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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