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भारत और रूस के अच्छे संबंध होने का क्या है कारण ?

देश में इतिहास रचते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्ता की सिंहासन पर बैठे हैं और पिछले 10 सालों में वो छठी बार रुस के दौरे पर है.राष्ट्रपति पुतिन और मोदी दोनों ही नेताओं की दोस्ती पूरी दूनिया में मशहूर है.कई बार पुतिन खुद भरे मंच से अपने दोस्त यानी पीएम मोदी की तारीफ कर चुके है.आज सिर्फ रुस ही नहीं बल्कि दुनिया के और भी कई देशों से भारत के संबंध काफी अच्छे है.पीएम मोदी आज ग्लोबल लीडर बन चुके है और उनकी लोकप्रियता को देखते हुए दुनिया का हर देश भारत से दोस्ती करना चाहता है.लेकिन क्या आपको पता है जैसी दोस्ती पीएम मोदी और पुतिन या फिर यूं कहें भारत और रुस की है ऐसी दोस्ती नेहरु के समय में नहीं हुआ करती थी.

देश में आजादी के बाद भी सोवियत संघ के राष्ट्रपति स्टालिन को भारत को सम्राज्यवादी ताकत की कठपुतली मानता था और यही कारण है कि स्टालिन ने हमेशा चीन को भारत से ज्यादा अहमियत दी.भारत ने रुस से अच्छे रिश्ते बनाने के लिए विजयलक्ष्मी पंडित को अपना राजदूत बनाकर भेजा और उन्होंने कई बार स्टालिन से मिलने की कोशिश भी लेकिन उन्होंने मिलने से मना कर दिया.स्टालिन विजयलक्ष्मी को एरोगेंट मानते थे.और ऐसा कहा जाता था की स्टालिन अगर किसी के लिए एक छवि बना ले तो उसको लेकर वो कभी भी अपना नजरिया नहीं बदलते.यही कारण था की विजयलक्ष्मी के लाख कोशिशों के बाद भी दोनों देशों के बीच समझौता नहीं हो पाया.

ऐसा लग रहा था की दोनों देशों के बीच दोस्ती बिल्कुल असंभव है. जिसके बाद इस मुश्किल काम को करने के लिए राधाकुष्णन को रुस भेजा गया.राधाकुष्णन को भी पता था स्टालिन का नजरिया भारत के लिए बदलना बहुत मुश्किल होने वाला है लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को अलग दिखाने के लिए रुस के राजनयिक सर्किल में अपने बारे में ये प्रोपेगैंडा फैलाया की वो रात में महज 2 घंटे सोते है और रातभर दर्शन की किताब लिखते है.इसके अलावा दिन में राजनयिक के काम करते हैं.जिसके बाद वो एक ऐसे रहस्यपूर्ण शख्स बन गए थे जिससे मिलने से खुद सोवियत संघ के राष्ट्रपति भी नहीं रोक पाए और दोनों की मुलाकात हुई.जिसके बाद स्टालिन का भारत को लेकर जो भी धारणा थी वो बदल गई और दोनों देशों में दोस्ती समय के साथ गहरी होती चली गई.

प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी और पुतिन 17 बार एक दूसरे से मिल चुके है.2 साल के बाद मोदी रुस के दौरे पर हैं. मोदी के रुस दौरे के दौरान पूरा रुस भारत के रंग में रंगा दिखा.पीएम मोदी का रुस में गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया.और कई अहम मुद्दों पर भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई.मोदी जहां भी जाते है उनका जादू यू चलता है की हर कोई उनका कायल हो जाता है वो चाहे अमेरिका हो या रुस दोनों ही भारत को सबसे उपर रखते है.आज दुनिया का हर देश के नेता भारत के साथ व्यापार करना चाहता है.

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Author: newsviewss

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