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Bhojshala ASI Survey Report: 98 दिन की खुदाई में 94 मूर्तियां, पुराने सिक्के सहित मिली ये चीजें

मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक भोजशाला मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी सर्वे रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी है। जानकारी के मुताबिक इस रिपोर्ट में भोजशाला के खंभों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति और निशान का जिक्र किया गया है। जांच के दौरान श्रीकृष्ण, शिव, जटाधारी भोलेनाथ, ब्रह्मा समेत 94 देवी-देवताओं की मूर्ति मिली हैं। कुल 98 दिनों तक भोजशाला परिसर में संपन्न हुए सर्वेक्षण और खुदाई में मिले अवशेषों की रिपोर्ट ASI ने कोर्ट में पेश कर दिया , जिसकी सुनवाई अब 22 जुलाई को होगी। दूसरी ओर हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाते हुए मामले की तत्काल सुनवाई करने की मांग की गई है।

जानें ASI सर्वे में अब तक क्या-क्या मिला

इस सर्वे के बीच हिंदू पक्षकार आशीष गोयल ने दावा किया है कि यहां से अभी तक जो नक्काशीदार पत्थर, मूर्तियां, सनातनी धर्म से जुड़े अवशेष मिले हैं, वो परमार कालीन हैं। इस भोजशाला से अभी तक 1600 से ज्यादा अवशेष मिल चुके हैं। इनमें भगवान श्री कृष्ण-श्री विष्णु की परिवार सहित मूर्तियां, उर्दू-फारसी लिखे शिलालेख, गौशाला के नीचे से दीवारें, भाले, दीवार पर बाहर की तरफ बना गौमुख, शिखर का आधार, शंख चक्र, कमलपुष्प, स्तंभ, स्तंभों के अवशेष, स्तंभ के आधार, मां वाग्देवी की प्रतिमा, महिषासुरमर्दिनी प्रतिमा के अवशेष, तीर के छोटे-छोटे टुकड़े, धातु के सिक्के, गणेश प्रतिमा, भैरव नाथ, नीलम का पत्थर, भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के अवशेष, कई तरह के पत्थर शामिल हैं।

वर्तमान संरचना में मिले परमार कालीन शिलालेख

वर्तमान संरचना में और उसके आस-पास पाए गए कई टुकड़ों में समान पाठ शामिल है। इनमें सैकड़ों की संख्या में पद्य संख्याएं हैं. जिससे पता चलता है ही कि ये लंबी साहित्यिक रचनाएं थीं। पश्चिमी स्तंभ में दो अलग-अलग स्तंभों पर उत्कीर्ण दो नागकामिका शिलालेख व्याकरणिक और शैक्षिक रुचि के हैं। ये दो शिलालेख एक शिक्षा केंद्र के अस्तित्व की परंपरा की ओर संकेत करते हैं। जिसके बारे में माना जाता है कि इसकी स्थापना राजा भोज ने की थी। एक शिलालेख के शुरुआती छंदों में परमार वंश के उदयादित्य के पुत्र राजा नरवर्मन 1094-1133 ई. के बीच शासन किया था. जानकारी के मुताबिक सभी संस्कृत और प्राकृत शिलालेख अरबी और फारसी शिलालेखों से पहले के हैं. जो यह दर्शाता है कि संस्कृत और प्राकृत शिलालेखों के उपयोगकर्ताओं या उत्कीर्णकों ने पहले इस स्थान पर कब्जा कर लिया था।

बता दें कि धार जिले के इस 11वीं सदी में बने परिसर का विवाद नया नहीं है। हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है। मुस्लिम पक्ष कमाल मौला मस्जिद कहता है। हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की याचिका पर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को आदेश दिया था कि वह छह हफ्ते में भोजशाला परिसर की साइंटिफिक स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे। हालांकि, रिपोर्ट सौंपने के लिए एएसआई ने और वक्त मांगा। तीन बार समय बढ़ाया गया।  चार जुलाई को हाईकोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिए थे कि 15 जुलाई तक अपनी पूरी रिपोर्ट सौंप दें।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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