देश का सबसे बड़ा सूबा यूपी लोकसभा चुनावों के बाद चर्चे में है। चर्चे में इसलिए है कि आम चुनावों में सत्ता दल भाजपा को अपेक्षा के मुताबिक, सीटों पर जीत नहीं मिली है। जो पार्टी चुनाव से पहले 80 में 80 सीटें जीतने का दावा कर रही थी वो मात्र 33 सीटों पर सिमट गई। इसके बाद सियासी गलियारों में हार पर मंथन हुआ कहीं मोदी मैजिक ना चलने की बात हुई कहीं योगी फैक्टर काम ना करने की बात हुई तो कहीं कुछ और निचोड़ निकाला गया। इतना ही नहीं नेतृत्व को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़ें होने के साथ ही चर्चाएं शुरू हो गईं थीं। कहीं चर्चा थी कि योगी आदित्यनाथ केंद्र में जाएंगे, पार्टी और सरकार में सबकुछ सही नहीं चल रहा है।
क्या केशव प्रसाद मौर्य ने इशारों-इशारों में योगी को घेरा?
इसी बीच यूपी बीजेपी के 3000 के करीब सदस्यों वाली कार्यसमिति की बैठक रविवार को हुई। बैठक में पार्टी के प्रदेश स्तर के सभी बड़े नेताओं के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। सबने अपने हिसाब से अपने कारणों को गिनाया लेकिन जो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बोला वो सबसे अहम रहा और सियासी बाजारों में इस बात पर जोर दे गया कि यूपी बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है। यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच फिर तल्खियां। केपी मौर्य के इस बयान के बाद इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी बैठकों में चर्चा है कि केशव प्रसाद मौर्य ने अपने बयान के जरिए अपना दर्द शीर्ष नेतृत्व के सामने रख दिया है। इतना ही नहीं वह सीएम योगी के नेतृत्व वाली कार्यशैली को भी हार की वजह के तौर पर मानते हैं। वहीं दूसरा पक्ष कह रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य ने पार्टी के प्रदर्शन से आहत होकर यह बयान दिया है।
पुरानी है केपी मौर्य और योगी के बीच वर्चस्व की जंग!
वैसे तो योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच तल्खियों की खबर नई नहीं है। ये वर्चस्व की जंग 2017 से चली आ रही है जब विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद प्रदेश की कमान हिंदू हृदय सम्राट होने के नाम पर योगी आदित्यनाथ को मिल गई। वहीं केपी मौर्य को उपमुख्यमंत्री पद का मिला। लेकिन सरकार बनने के बाद ही योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच की तकरार सामने आती रही। इसके बाद 2022 चुनाव से करीब 6-7 महीने पहले भी यूपी में माहौल बना कि बीजेपी अन्य राज्यों की तर्ज पर सीएम योगी को हटाकर केपी मौर्य को सीएम बना सकती है। इस बीच केपी मौर्य को दो बार दिल्ली भी पहुंचे लेकिन बात नहीं बनी। फिर चुनाव हुए और केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से हार गए। हालांकि उसके बाद भी उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया।
