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Mukesh Sahani Father Murder:”ब्याज पर पैसा, गिरवी बाइक , नफरत”, जानें अब तक क्या-क्या हुआ?

दरभंगा में विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) प्रमुख मुकेश सहनी के पिता की हत्या का पर्दाफाश पुलिस के लिए चुनौती बन गई है। पुलिस ने हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस का दावा है कि यह वारदात को लेन देन के विवाद में चार लोगों ने अंजाम दिया है। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने चारों आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में वारदात कबूल करते हुए इसकी वजह भी बताई है।

हिरासत में 4 लोग, पैसों का विवाद

अब पुलिस मामले की सभी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश में जुटी है। गिरफ्तार चारों आरोपियों की फोन की डिटेल को पुलिस खंगाल रही है। साथ ही यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जीनत सहनी के साथ इनका क्या संबंध था, क्या इन लोगों ने किसी तरह का कोई लेनदेन किया था। आखिर क्यों ये लोग इतनी रात में जीतन के घर गए। इन तमाम पहलुओं की पुलिस जांच कर ही है और इससे जुड़ी हर जानकारी को इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है। अधिकारियों ने कहा कि दो संदिग्धों ने पहले जीतन सहनी से ब्याज पर पैसे उधार लिए थे। सूत्रों ने कहा कि ये दोनों लोग जीतन की हत्या से कुछ दिन पहले उनके साथ तीखी बहस में शामिल थे। माना जा रहा है कि तीसरे संदिग्ध ने पीड़ित से उधार लेने के लिए अपनी मोटरसाइकिल गिरवी रखी थी। हत्याकांड की जांच के लिए जिला पुलिस की एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है।

 गिरवी बाइक पर विवाद, फिर मर्डर

पुलिस के मुताबिक चारों आरोपी जीतन सहनी की हत्या की तैयारी के साथ उनके घर पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि गिरवी मोटरसाइकिल को छुड़ाने के लिए ही ये रात में सहनी के घर गए थे। पुलिस के मुताबिक चारों आरोपियों के पास लंबे फल वाले चाकू थे और चारों ने ही मिलकर एक साथ जीतन सहनी के ऊपर हमला किया। जिस आरोपी की बाइक थी, उसी ने चाकू से जीतन सहनी के पेट में वार किया और नीचे से ऊपर की ओर खींचते हुए पेट को फाड़ दिया। इसके चलते जीतन सहनी की अंतड़ियां पेट से बाहर आ गईं। आरोपी जीतन सहनी की मौत के बाद भी उनके ऊपर हमले करते रहे।

बता दें कि बिहार के दरभंगा में जीतन सहनी की निर्मम हत्या कर दी गई थी। घर के पास लगे सीसीटीवी कैमरे में देखा जा सकता है कि सोमवार की रात तकरीबन 10.30 से 11 बजे के बीच चार लोग घर के अंदर जाते हैं। कुछ देर के बाद ये सभी बाहर निकलते हैं और चले जाते हैं।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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