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1947 आजादी के 5 किस्से: जब भीड़ में खोए माउंटबैटन, पं नेहरू को नहीं मिली बग्घी में बैठने की जगह

15 अगस्त 2024 को आजादी की 77वीं वर्षगांठ मनाएगा। भारत को इसी दिन 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी, जबकि संविधान 1950 में अपनाया गया था।इसमें कोई शक नहीं कि भारत के लिए ब्रिटिश शासन से आज़ादी पाना आसान नहीं था, लेकिन हमारे राजनीतिक नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और लोगों ने मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया, जो कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। आजादी के किस्से की सीरीज में हम आपको देश की आजादी के दिन के कुछ किस्से बता रहे हैं।

15 अगस्त 1947 को अपनी बग्गी में कैद माउंटबैटन नीचे नहीं उतर पा रहे थे, उन्होंने वहीं से चिल्लाकर नेहरू से कहा बैंड वाले भीड़ के बीच में खो गए। वहां पर मौजूद बैंक के चारों तरफ इतने लोग जमा थे कि वो अपने हाथों तक को नहीं हिला पाए। मंच पर मौजूद लोगों ने सौभाग्य से माउंटबेटन की आवाज सुनी, तिरंगा झंडा फ्लैग पोस्ट के ऊपर गया और लाखों लोगों से घिरे माउंटबैटन ने अपनी बग्गी पर ही खड़े-खड़े उसे सैल्यूट किया, लोगों के मुंह से बेसाख्ता आवाज निकली माउंटबेटन की जय, पंडित माउंटबेटन की जय।

 

देश की आजादी समारोह के दिन दिल्ली में काफी भीड़ थी, माउंटबेटेन और एडविना की बग्घी ने नीचें अचानक 3 औरतें आ गईं। माउंटबेटेन और एडविना ने तीनों को अपनी बग्घी में चढ़ा लिया। जो थक कर परेशान हो चुकी थी। तीनों औरतें उस सीट पर बैठ गई जिसकी गद्दी इंग्लैंड के राजा और रानी के बैठने के लिए बनाई गई थी। उसी बग्घी में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उसके हुड पर बैठे हुए थे क्योंकि उनके लिए बग्घी में बैठने के लिए कोई सीट ही नहीं बची थी।

15 अगस्त 1947 को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट पर देश का तिरंगा फहराया था। आजादी के सुबह की पहली शुरुआत बिस्मिल्लाह खान की शहनाई की धुन से की थी। पंडित नेहरू की चाहते थे की इस मौके पर बिस्मिल्ला खां की शहनाई बजे। फिर बिस्मिल्ला खां और उनके साथियों ने राग बजाकर आजादी की सुबह का संगीतमय स्वागत किया। फिर पंडित नेहरू ने ध्वजारोहण किया था।

15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब सबसे बड़ी जरूरत थी देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध करने की और शिक्षा के माध्यम से ही ये लक्ष्य हासिल किया जा सकता था। पंडित नेहरू के नेतृत्व में गठित पहली सरकार ने इस जरूरत को समझा और शुरुआत से ही देश में शिक्षा के ढांचे पर ज्यादा ध्यान दिया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को आधुनिक बनाने के लिए जो काम किए हैं उन्हें भुलाया नहीं जा सकता यही कारण है कि नेहरू पूरी दुनिया में आधुनिक भारत के निर्माता नाम से मशहूर हैं। उन्होंने शिक्षा से लेकर उद्योग जगत को बेहतर बनाने के लिए कई काम किए। IIT -IIM और कई विश्वविद्यालयों की स्थापना की। साथ ही कई उद्योग-धंधों की भी शुरुआत की।


आजादी के बाद 1951 में देश के पहले IIT की स्थापना पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में हुई। पूरे देश में 1951 से पहले पढ़ने के लिए कोई ऐसे संस्थान नहीं थे। इससे पहले बेहतर पढ़ाई के लिए देश के युवाओं को विदेश जाना पड़ता था। ऐसे में संपन्न घर के युवाओं को ही मौका मिलता था। मिडिल क्लास या गरीब युवा अक्सर तकनीकी शिक्षा से दूर रह जाते थे। फिर इन्हीं इंस्टीट्यूट से पढ़कर निकले हजारों युवाओं ने देश भर में अपनी प्रतिभा का डंका बजाया। देश में पहले IIM की स्थापना भी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ही की थी।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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