देश अपनी आजादी का 77वां वसंत में पूरा करने वाला है। इन 77 वर्षों में देश ने जीवन के हर क्षेत्र में अनगिनत उपलब्दियां हासिल की हैं। 77 साल की यह यात्रा जितनी ही शानदार रही है, उससे कहीं ज्यादा अनगिनत लोगों का इसमें योगदान भी शामिल है। जिससे दुनिया में भारत एक बार फिर विश्व गुरु बनने की ओर बढ़ रहा है तो आइए जानते हैं देश की प्रमुख उपलब्धियों के बारे में…
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में निराशा का माहौल था लोग चाहते थे कि कोई उन्हें उस माहौल से निजात दिलाए। लोकसभा चुनाव के नतीजे ऐतिहासिक तौर पर कांग्रेस के पक्ष में आए। देश के लोगों ने राजीव गांधी को अपना प्रधानमंत्री चुना और अगले पांच साल में राजीव गांधी ने देश के लिए बहुत सारे फैसले लिए। ऐसे फैसले जिन्होंने देश की जनता के दिलो-दिमाग में एक छाप छोड़ी जो देश की तरक्की की राह में मील का पत्थर साबित हुई।
राजीव गांधी ने कुछ सेक्टर्स में सरकारी नियंत्रण को खत्म करने की कोशिश की। ये सब 1991 में बड़े पैमाने पर नियंत्रण और लाइसेंस राज के खात्मे की शुरुआत थी।राजीव गांधी ने इनकम और कारपोरेट टैक्स घटाया। लाइसेंस सिस्टम आसान किया और कंप्यूटर,टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों से सरकारी नियंत्रण खत्म किया। साथ ही कस्टम ड्यूटी हटाई और निवेशक को बढ़ावा दिया। बंद अर्थव्यवस्था को बाहरी दुनिया की खुली हवा महसूस करवाने का यह पहला मौका था।
मताधिकार पर ही लोकतंत्र की नींव रखी जाती है। जिस देश में जितने अधिक नागरिकों को मताधिकार मिलता है। उस देश को उतना ही अधिक जनतांत्रिक समझा जाता है। देश को जनतांत्रिक बनाने में राजीव गांधी ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। राजीव ने मतदान की उम्र 21 से घटाकर 18 साल कर दी। 21 से घटाकर 18 साल करने के फैसले से 5 करोड़ युवा मतदाता और बढ़ गए। इस फैसले का कुछ विरोध भी हुआ लेकिन राजीव गांधी को राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की शक्ति का एहसास था। राजीव गांधी ने EVM मशीनों को चुनाव में शामिल करने समेत कई बड़े चुनाव सुधार भी किए थे। EVM की वजह से उस दौर में बड़े पैमाने पर जारी चुनावी धांधलियों पर रोक लग गई।
1986 में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए। जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की गई। लगभग हर जिले में एक नवोदय विद्यालय है और हालत ऐसी है कि शहरी क्षेत्र के बच्चे भी नवोदय स्कूलों में प्रवेश ले रहे हैं। राजीव ने ये फैसला 1986 में घोषित शिक्षा नीति के तहत लिया था।
पीवी नरसिंहराव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक खो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला लाइसेंस राज की समाप्ति और भारतीय अर्थनीति में खुलेपन उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही आरंभ हुआ था।
