2022 के विधानसभा चुनावों के पहले भाजपा में शामिल होने वाली अपर्णा यादव को आखिरकार नई जिम्मेदारी मिल गई है। अपर्णा यादव बिष्ट को महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं बबीता चौहान को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया है। गोरखपुर की चारू चौधरी को भी उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है। जबकि कांग्रेस की ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ की पोस्टर गर्ल डॉ. प्रियंका मौर्या को महिला आयोग का सदस्य बनाया गया है। आयोग में भाजपा ने सहयोगी दलों को भी जगह दी है। रालोद की मनीषा अहलावत को सदस्य बनाया गया है।
महिला आयोग की नई टीम में 25 सदस्य भी बनाए गए
महिला आयोग की नई टीम में 25 सदस्य भी बनाए गए हैं। इनमें मेरठ की हिमानी अग्रवाल, बलिया की सुनीता श्रीवास्तव, लखनऊ की अंजू प्रजापति, कानपुर की पूनम द्विवेदी, कानपुर की अनीता गुप्ता, झांसी की अनुपम सिंह लोधी, लखीमपुर की सुजीता कुमारी, अलीगढ़ की मीना कुमारी, मिर्जापुर की नीलम प्रभात, जौनपुर की गीता बिंद, प्रयागराज की गीता विश्वकर्मा, बरेली की पुष्पा पांडेय, लखनऊ प्रियंका मौर्या, मेरठ की मीनाक्षी भराला, लखनऊ की ऋतु शाही, रामपुर की सुनीता सैनी, लखनऊ की एकता सिंह, ललितपुर की अर्चना पटेल, संत कबीर नगर की जनक नंदिनी, कौशांबी की प्रतिभा कुशवाहा, कासगंज की रेनू गौर, मेरठ की मनीषा अहलावत, बिजनौर की अवनी सिंह, सहारनपुर की सपना कश्यप और बिजनौर की संगीता जैन अनु शामिल हैं।
कौन हैं अपर्णा बिष्ट यादव?
उपाध्यक्ष बनाई गईं अपर्णा यादव मुलायम सिंह की छोटी बहू हैं। अपर्णा मुलायम की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। अपर्णा का जन्म 1 जनवरी, 1990 को हुआ था। उनके पिता अरविंद सिंह बिष्ट एक मीडिया कंपनी में थे। सपा की सरकार में वह सूचना आयुक्त भी रहे। वह विधानसभा चुनाव- 2022 से पहले भाजपा में शामिल हुई थीं। अपर्णा यादव विधानसभा चुनाव में सरोजिनी नगर से भाजपा का टिकट भी मांग रही थीं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था। इसके अलावा पिछले 3 साल से उन्हें भाजपा ने कोई पद नहीं दिया। हालांकि, विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपर्णा को अखिलेश यादव परिवार के खिलाफ महिलाओं के बीच बड़ा चेहरा बनाया था। अपर्णा को लेकर कई मौकों पर दावा किया गया कि उन्हें लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव, डिंपल यादव या यादव परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. माना जाता है कि अपर्णा, परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं.
