गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से 3 किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है निष्कलंक महादेव का प्राचीन मंदिर। इस मंदिर की कहानी बहुत ही अजीब है। यहां के चमत्कारों के बारे में सभी लोग जानते हैं। इस मंदिर तक जाना भी थोड़ा मुश्किल है। महादेव का यह मंदिर आज भी समुद्र में डूब जाता है। इस मंदिर में एक नहीं बल्कि 5 शिवलिंग है। शिव लिंग के यहां होने के पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य छुपा है। तो चलिए आपको बताते हैं, कि वो रहस्य क्या है।
पापों का प्रायश्चित करने महादेव की तपस्या कर रहे थे पांडव
महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। पांडव दुःखी थे कि उन्होंने अपने ही सगे-संबंधियों को युद्ध में मौत के घाट उतार दिया। इसके लिए उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से सलाह माँगी। उन्होंने पांडवों को एक काली गाय और काला ध्वज दिया और कहा कि पांडव ध्वज को लेकर काली गाय का अनुसरण करें। जहाँ भी दोनों का रंग सफेद हो जाएगा, वहाँ पांडवों को उनके पाप से मुक्ति मिल जाएगी। पांडव कई दिनों तक विभिन्न स्थानों में उस काली गाय का अनुसरण करते हुए घूमते रहे लेकिन न तो गाय का रंग ही बदला और न ही उस ध्वजा का। इसी क्रम में जब पांडव वर्तमान गुजरात के कोलियाक तट पर पहुँचे, तब ध्वजा और गाय दोनों सफेद रंग के हो गए। पांडवों ने प्रसन्न होकर भगवान शिव की तपस्या की।
पांचों पांडवों को भगवान शिव ने बनाया था निष्कलंक
पांडवों की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ पांचों भाइयों के सामने 5 शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। इस स्थान पर भगवान शिव ने पांचों पांडवों को निष्कलंक बनाया था। यही कारण है कि यहां स्थापित शिवलिंग को निष्कलंक महादेव के नाम से जाना जाता है, यहां स्थापित शिवलिंग 5 स्वयंभू शिवलिंग हैं। श्रद्धालु पानी से होकर ही इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं। मंदिर एक चौकोर चबूतरे पर स्थित है। यहाँ 5 स्वयंभू शिवलिंग हैं, जहाँ प्रत्येक शिवलिंग के पास एक नंदी भी विराजमान है।
दर्शन के लिए पानी से होकर गुजरते हैं श्रद्धालु
अरब सागर में स्थित यह मंदिर तट से करीब 1 किलोमीटर अंदर पानी में स्थित है। श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए पानी से होकर गुजरते हैं। दिन के 24 घंटों में से करीब 14 घंटे निष्कलंक महादेव मंदिर समुद्र में डूबा रहता है। हज़ारों सालों के बाद भी जवार भट्टा और तुफानो के प्रहार के बावजूद भी ये मंदिर कैसे बना हुआ है ये तो सइंसेटिस्टस और इंजनियर्स के लिए एक अनसुलझा रहस्य है। ऐसा कहा जाता है कि समुद्र देवता दिन में लगभग 2 बार शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
