नेपाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ बिहार में हो रही लगातार बारिश की वजह से इन राज्यों से गुजरने वाली नदियां उफान पर हैं। खासतौर पर बिहार में कोसी और गंडक कई दिनों से तबाही मचा रही हैं। बिहार के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है और करीब 16 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। नदी का तेज बहाव ने तटबंधों को ध्वस्त कर दिया है। अब तक सात तटबंध टूट चुके हैं। इससे कई गांवों को बाढ़ का पानी घुस गया है। दरभंगा, सीतामढ़ी, शिवहर और बगहा में कुल सात तटबंध टूट गए।
बिहार के इन जिलों में बाढ़ से अधिक तबाही
बिहार में बाढ़ी की विभिषिका से राज्य के करीब 12 जिलों के 77 प्रखंडों के 546 पंचायत पानी में डूब चुके हैं। बिहार सरकार की ओर से अलर्ट जारी किया है।जो जिले बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं उनमें सीतामढ़ी, भागलपुर, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, अररिया, कटिहार, पुर्णिया, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगुसराय, मुंगेर, बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना शामिल है।
नदियां उफान पर, अब तक 7 तटबंध टूटे
गंडक कोसी और बागमती नदी में पानी का दबाव इतना बढ़ गया है कि अब तक 7 बंध टूट चुके हैं। इनमें सीतामढ़ी के तीन, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और शिवहर में एक-एक शामिल हैं। पश्चिम चंपारण में एक सुरक्षा बांध भी ध्वस्त हो गया है। बाढ़ का आलम यह है कि बागमती नदी में 22 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है। सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है, जबकि हजारों एकड़ में लगी फसल डूब गई है। लाखों की आबादी प्रभावित है और हजारों की संख्या में लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में पलायन कर रहे हैं।
कोसी और गंडक नदी का विकराल रूप
उत्तर बिहार में कोसी नदी के विकराल रूप को देखने को मिला है, जो पिछले कई सालों में शायद ही कभी देखने को मिला हो। कोसी नदी पर बने वीरपुर बैराज से रविवार सुबह पांच बजे तक कुल 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो 56 साल में सबसे अधिक है। राज्य जल संसाधन विभाग के ताजा बुलेटिन के अनुसार, पिछली बार इस बैराज से सबसे ज्यादा पानी 1968 में 7.88 लाख क्यूसेक छोड़ा गया था। इसी तरह गंडक नदी पर बने वाल्मीकिनगर बैराज से शनिवार रात 10 बजे तक 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। यह 2003 में छोड़े गए 6.39 लाख क्यूसेक के बाद सबसे ज्यादा पानी है. एहतियात के तौर पर कोसी बैराज के पास यातायात रोक दिया गया है।
