भारत और चीन की सेनाएं शुक्रवार, 25 अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं। पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग पॉइंट में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए हैं। गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जाए जा रहे हैं। 28-29 तारीख तक दोनों जगहों में डिसइंगेजमेंट पूरा हो जाएगा। अब तक 50 प्रतिशत डिसइंगेजमेंट पूरा हो चुका है, सैनिक पीछे हटे हैं. स्थानीय कमांडरों की ओर से की जा रही वर्तमान वापसी प्रक्रिया, सीनियर लेवल पर तय की गई व्यापक शर्तों के मुताबिक की जा रही है। बता दें कि समझौता के तहत भारत और चीन के सैनिक अप्रैल,2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे और वे उन क्षेत्रों में गश्त करेंगे, जहां उन्होंने अप्रैल, 2020 तक गश्त की थी।
देपसांग और डेमचोक से पीछे हटेंगी सेनाएं
देपसांग और डेमचोक से पीछे हटने की जानकारी 18 अक्टूबर को सामने आई थी। इसमें बताया गया था कि यहां से दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौटेंगी। साथ ही उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगी, जहां अप्रैल 2020 से पहले किया करती थीं। इसके अलावा कमांडर लेवल मीटिंग होती रहेगी। चीन को सूचित कर दिया गया है कि भारतीय सेना कब से पेट्रोलिंग करेगी। गश्त के बारे में नियमित संचार और जानकारी भी साझा की जाएगी। शुरुआत में सेनाएं डेमचोक और देपसांग के विभिन्न क्षेत्रों में 2 किमी से 10 किमी की दूरी तक जाएंगी। देपसांग और डेमचोक से कुछ अस्थायी टेंट भारत और चीन दोनों ने हटा दिए हैं। भारतीय सैनिक चार्डिंग नाला के पश्चिमी किनारे की ओर वापस चले गए हैं, जबकि चीनी सैनिक नाला के पूर्वी किनारे की ओर पीछे हट गए हैं।
जून 2020 में भिड़ी थी दोनों सेनाएं
15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं। इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे।
