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Manipur Violence: NPP ने भाजपा से समर्थन वापस लिया, क्या मणिपुर में गिर जाएगी बीजेपी सरकार?

मणिपुर में  हिंसक प्रदर्शन जारी हैं। शहर-गांव क्या प्रदर्शनकारियों के निशाने पर नेता ,मंत्री विधायक भी आ गए हैं लेकिन इस बीच राज्य की भाजपा सरकार में शामिल नेशनल पीपुल्स पार्टी ने समर्थन वापसी का ऐलान किया है। नेशनल पीपुल्स पार्टी(NPP) ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक चिट्ठी लिखी है, उसमें राज्य में बढ़ती हिंसा का जिक्र किया गया है। जोर देकर बोला गया है कि तमाम प्रयासों के बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं, ऐसे में समर्थन वापस लेने का फैसला हुआ है। एनपीपी ने राज्य में जारी हिंसा को रोकने लिए सीएम एन बीरेन सिंह की कोशिशों पर सवाल भी खड़े किए हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार को राज्य में लंबे समय से चल रही अशांति के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

हिंसा और राज्य के हालातों को लेकर NPP ने वापस लिया समर्थन

कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी ने राज्य में मौजूदा कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पार्टी द्वारा जारी पत्र में कहा गया है, “हमें दृढ़ता से लगता है कि बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है। वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का निर्णय लिया है।”

फिलहाल बीरेन सरकार पर कोई संकट नहीं

मणिपुर में बीजेपी के पास अपने दम पर बहुमत है, ऐसे में अगर एनपीपी के सात विधायक अपना समर्थन वापस भी लेते हैं, उस स्थिति में भी सरकार पर कोई खतरा नहीं आने वाला है। 60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में NPP के 7 सदस्य हैं, जो भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे थे। भाजपा के पास 32 सदस्य हैं, जबकि बहुमत का आंकड़ा 31 हैं। इस तरह से भाजपा राज्य में बिना किसी समर्थन के सरकार चला सकती है, क्योंकि बहुमत के लिए भाजपा को किसी से समर्थन की जरूरत नहीं है। वहीं अन्य पार्टियों की बात करें तो इसमें नगा पीपुल्स फ्रंट के पांच सीटें, एनपीपी सात, जनता दल (यू) एक, निर्दलीय उम्मीदवार तीन, कांग्रेस के पास पांच सीटें और कुकी पीपुल्स अलायंस के पास विधानसभा में दो सीटें हैं।

सीएम और विधायकों के घरों पर भी हुए हमले

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़की हुई है। यहां पिछले साल मई के महीने से मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच संघर्ष चल रहा है, जो एक बार फिर हिंसक रूप ले चुका है। तीन बच्चों और तीन महिलाओं की मौत के बाद यहां लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। 16 नवंबर को सीएम एन बीरेन सिंह और 10 विधायकों के घरों पर हमले हुए। हालात बिगड़ते देख 5 जिलों में कर्फ्यू और 7 जिलों में इंटरनेट सर्विस बंद है। इस बीच, कुछ मंत्रियों सहित भाजपा के 19 विधायकों ने बीरेन सिंह को हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखा है। सूत्रों के अनुसार अगले दो-तीन दिन में हालात और बिगड़े तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग सकता है।

 

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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