दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ महीनों से लगातार वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है। अन्य दिनों की तरह आज भी सुबह दिल्ली-NCR में अधिकांश इलाके धुंध और स्मॉग की गहरी चादर में लिपटे नजर आए। दिल्ली के साथ-साथ नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 पार हो चुका है जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इसी बीच राजधानी में प्रदूषण के मुद्दे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार और अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि वह दिल्ली सरकार के जवाबों से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने ग्रैप-4 के दो बिंदुओं पर भी असंतुष्टता जताई है। इसके अलावा अदालत ने एंट्री प्वाइंट्स पर भी सवाल उठाया है।
दिल्ली में रिश्वत देकर बेरोकटोक घुस रहे हैं ट्रक- सुप्रीम कोर्ट
प्रदूषण मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट और सीएक्यूएम द्वारा पारित आदेशों के बावजूद, दिल्ली सरकार और पुलिस जीआरएपी चरण IV तहत धाराओं का पालन करने में विफल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगभग 100 प्रवेश बिंदुओं पर ट्रकों के प्रवेश की जांच करने वाला कोई नहीं है।सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने मीडिया के हवाले से बताया कि दिल्ली में रिश्वत देकर बेरोकटोक ट्रक घुस रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र सरकार को कहेगा कि सभी 113 एंट्री पॉइंट पर पुलिस अधिकारी नियुक्त करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवेश बिंदुओं पर तैनात कर्मियों को आवश्यक वस्तुओं के तहत स्वीकृत वस्तुओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी दी जानी चाहिए।
GRAP-IV लागू होने के बाद भी कम नहीं हो रहा प्रदूषण
फिलहाल दिल्ली में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार और प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद धुंध और कोहरे से निजात नहीं मिल रहा है। दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं और ग्रैप का चौथा चरण भी लागू किया गया है। AQI लेवल की बात करें तो दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषित इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से पार बना हुआ है। इनमें जहांगीरपुरी, बवाना ,आनंद विहार, नेहरु नगर , शादीपुर , मुंडका में AQI 400 के पार है और गंभीर श्रेणी में है। वहीं रोहिणी, अया नगर , अशोक विहार , पंजाबी बाग में AQI 390-400 हैं। बता दें कि राजधानी में वायु प्रदूषण पर प्रतिदिन नजर रखने के लिए निगरानी सेंटर्स बनाए गए हैं। ये सेंटर्स वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की रीडिंग के जरिए आंकड़े बताते हैं, इसके साथ ही जहरीली हवा से जोखिम कम करने के बारे में जानकारी दी जाती है।
