22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई और सालों चली कानूनी लड़ाई बंद हो गई जिसके बाद RSS ने भी कहा था कि अब हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग ढूंढने की जरूरत नहीं है. हालांकि लंबे वक्त से ज्ञानवापी का विवाद भी कोर्ट में चल रहा है.साथ ही मथुरा कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर लंबी कानून बहस हुई है मगर नतीजा कुछ नहीं निकला,लेकिन अब संभल की जामा मस्जिद की जगह मंदिर और अजमेर की दरगाह की जगह भी पहले मंदिर होने के दावे ने देश में नई बहस की शुरुआत कर दी है. लेकिन देश में कई ऐसे विवादित स्थल हैं, जिन्हें लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं.
दरअसल, जब से संभल और अजमेर की दरगाह को लेकर विवाद सामने आया है तब से ऐसे दावों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है.रिपोर्टस के मुताबिक भारत में कम से कम 5 धार्मिक स्थल हिंदू समूहों के दावों के अधीन हैं. ये हैं मथुरा में शाही मस्जिद, धार में भोजशाला परिसर, दिल्ली में कुतुब मीनार, लखनऊ में टीली वाली मस्जिद, अजमेर में हजरत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह,मध्य प्रदेश में कमाल-उद-दीन मस्जिद लेकिन ये तो सिर्फ कुछ चुनिंदा और बहुत मशहूर नाम हैं.इन नामों की लिस्ट तो इससे भी ज्यादा लंबी है.इस लंबी लिस्ट में सबसे पहला नाम दुनिया के 7 अजूबों में शामिल ताजमहल का आता है.जहां जयपुर राजघराने की सदस्य दिया कुमारी ने ताजमहल की जमीन को अपने पुरखों का बताया था और इस बात का दावा भी किया था वहां कभी हिन्दू मंदिर हुआ करता था.जिसे लेकर उन्होंने कई साक्ष्य भी सामने रखे थे.इसके अलावा कई हिन्दू संगठन भी कईं बार वहां हिन्दू मंदिर होने का दावा कर चुके हैं.इसके अलावा जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर भी ऐसा ही दावा किया जाता है.जहां वादी एडवोकेट अजय प्रताप सिंह का दावा है कि अटाला मस्जिद की जगह कभी अटाला देवी मंदिर हुआ करता था.साथ ही एक रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि ये मंदिर कन्नौज के राजा जयचंद राठौर ने बनवाया था.इसके बाद नाम आता है बदायूं की जामा मस्जिद की.और इस जगह नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया जाता है.अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने बदायूं सिविल कोर्ट में इसे लेकर साल 2022 में एक याचिका भी दाखिल की थी…जिसे लेकर अब तक सुनवाई चल रही है हालांकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वहां कभी कोई मंदिर नहीं था.तो वहीं वाराणसी की ही धरहरा मस्जिद की जगह 12वीं शताब्दी में विष्णु माधव के नाम का मंदिर होने की बात कही जाती है। ये वास्तुकला की हिंदू-मुगल शैली का एक उदाहरण है.इस स्मारक को स्थानीय तौर पर माधोदास का धरहरा कहा जाता है और तो और देश की राजधानी दिल्ली में सैलानियों की पसंदीदा जगहों में से एक कुतुब मीनार को लेकर भी कईं बार विवाद हो चुका है। इसे दिल्ली के पहले सुल्तान कुतबुद्दीन ऐबक ने 1192 में दिल्ली के तत्कालीन हिंदू शासकों को हराने के बाद बनवाया था.इतिहासकारों के अनुसार इसे बनवाने के लिए 27 हिंदू और जैन मंदिर ध्वस्त किए गए.इसके मलबे का इस्तेमाल यहां मस्जिद निर्माण में हुआ. हालांकि एक सिविल कोर्ट ने इससे संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था.इन सभी स्थानों के अलावा और भी कईं ऐसै नाम हैं.जिन्हें इस लिस्ट में जोड़ा जा सकता है.लेकिन आपको इनमें से कितनों के बारे में पता था,,कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं
