बांगलादेश में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है पुरी दुनिया की नज़र है.जब से शेख हसीना ने सत्ता को अलविदा कहा हिन्दुओं पर जुल्म लगातार बढ़ते हुए नज़र आ रहा है.सरेआम हिंदुओं को मारा-पीटा जा रहा है.कुछ दिनों पहले हमने देखा जब दश्हरे का त्योहार था हिन्दुओं को नवरात्रा-दुर्गा पूजा मनाने पर भी रोक लगा दी गई.मतलब तमाम तरीके की परेशानी का सामना कर रहे हैं बांगलादेशी हिंदू.वहां इस्कॉन को बंद करने की मांग लगातार उठ रही है.हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर आवाज़ उठाने वाले संत चिन्मय कृष्ण दास के साथ क्या हुआ ये भी आप सभी को मालूम होगा.उन्हें सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया कि वो अपने हक की बात कर रहे थे,वो बेचारे तो बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.इस चीज को लेकर मुद्दा बना रहे थे कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा रुकनी चाहिए.मगर उन्हें अपनी आवाज उठाने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया.उन पर इल्जाम लगाया गया कि 25 अक्टूबर को उनकी रैली में बांग्लादेश के झंडे के ऊपर किसी ने सनातन का झंडा लगा दिया था.इस बात पर सीधे उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया गया.कोर्ट ने इस मामले में उन्हें जमानत भी नहीं दी.कोर्ट और पुलिस के इस रवैए के खिलाफ जब हिंदुओं ने आवाज उठाई तो पुलिस ने उन पर ही लाठियां चलाई.आंसू गैस के गोले छोड़े और तो और हिंदू प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए वहां जमात इस्लामी के लोग भी आ गए.वो भी पुलिस के साथ मिलकर इस भीड़ पर पत्थर मारने लगे.आप ही सोचिए किसी देश में जुल्म की इससे ज्यादा इंतहा और क्या हो सकती है ,पहले तो एक कम्युनिटी को टारगेट करो, इस हिंसा के खिलाफ वो कम्युनिटी आवाज उठाए तो उसे मारो फिर उस कम्युनिटी का कोई धार्मिक नेता इसके खिलाफ आवाज उठाए.तो उस पर झूठा मामला चलाकर उसे अरेस्ट कर लो.अब जब इतना कुछ हो रहा है तो देश के नेता चुप-चाप बैठे हैं.लगातार सदन में हंगामा करने वाली विपक्ष एक बार भी इस मुद्दे पर चर्चा करना भी जरूरी नहीं समझ रही है.सदन में हमेशा हंगामा चलता है.देश में अल्पसंख्यकों के साथ ये हो रहा है,वो हो रहा है,किसानों के साथ गलत हो रहा है,युवाओं के साथ गलत है रहा है और विपक्ष की नज़र में भारत में मुसलमानों के साथ तो अक्सर गलत होता ही है.लेकिन बांगलादेश में अपने भाइयों के साथ हो रहे अत्याचार को देखने के लिए विपक्ष को अपनी आखों से काली पट्टी हटानी होगी.जो वो कभी नहीं हटाएंगे.वो क्यों वो भी आपको समझाते हैं.मान लो वो काली पट्टी हटाते हैं तो उनका यहां का वोट बैंक तो खराब हो जाएगा.बांग्लादेश में हिंदुओं पर जो जुल्म हो रहा है,उसके खिलाफ इन्होंने अगर आवाज उठाई या उन लोगों को टारगेट किया जो हिंदुओं पर जुल्म कर रहे हैं तो इससे भारत में में बैठा इनका वोट बैंक बुरा मान जाएगा और यही वजह की ये एक शब्द बोल भी नहीं रहे हैं.खैर ये तो इनकी मानसीकता है और हम किसी की मानसिकता को बदल भी नहीं सकते हैं.हमारा काम है किसी भी मुद्दे के हर पहलु को आप तक पहुंचाना.आप ही सोचिए युवाओं का नेता खुद को बताने वाले राहुल गांधी को संभल में मुसलमानों का दर्द दिख रहा है जाने को तैयार हो जाते हैं वहां लेकिन हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर एक शब्द भी बोलना जरूरी नहीं समझते हैं.
