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सरकार के लिए मुश्किल है किसानों का मुद्दा सुलझाना, क्या है नोएडा, पंजाब और हरियाणा के किसानों की मांग !

देश में किसानों से जुड़े आंदोलनों ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है.देश की राजधानी दिल्ली को घेरने की पूरी तैयारी किसान संगठनों ने कर ली है.कुछ दिन पहले दिल्ली से सटे नोएडा में भी किसानों ने बड़ी संख्या में दिल्ली चलो का आह्वान किया था.जिसे लेकर खूब बवाल भी देखने को मिला था.एक बार फिर अब पंजाब-हरियाणा के किसानों ने एक बार फिर से दिल्ली की तरफ कूच करने का पक्का इरादा कर लिया है. इन दोनों के आंदोलनों की वजहें अलग-अलग हैं.

क्या है नोएडा के किसानों की मांग
जहां नोएडा के किसान चाहते हैं कि उन्हें जमीन अधिग्रहण बिल 2014 के तहत ही जमीन का सही मुआवजा दिया जाए.और उनकी जमीन की 10% जमीन विकसित करके दी जाए.साथ ही जिन किसानों की पूरी जमीन गई है,उन्हें सरकारी नौकरी की गारंटी मिले.

क्या है पंजाब और हरियाणा के किसानों की मांग
पंजाब और हरियाणा के किसान 3 कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब MSP को लेकर सरकार से गारंटी चाहते हैं.लेकिन क्या किसानों के साथ बातचीत करना और इस मसले को सुलझा पाना सरकार के लिए इतना आसान होने वाला है.दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक किसानों की सबसे बड़ी मांग सभी फसलों को एमएसपी की गारंटी देने की है.किसान संगठन चाहते हैं कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएस स्वामीनाथन की सिफारिश वाले फॉर्मूले C2+500% हो.बता दें कि यहां C2 लागत को दर्शाया गया है

किसानों की कुल 12 मांगों में से दूसरी बड़ी मांग ये है कि गन्ना की खरीदी भी स्वामीनाथन की सिफारिश पर ही की जाए और किसानों की एक अन्य मांग कृषि क्षेत्र को प्रदूषण से बाहर रखने की भी है.लेकिन इस मामले में एक बड़ा पेंच यहां भी फंसता है कि सरकार का कहना है कृषि केंद्र का नहीं बल्कि राज्य का विषय है और राज्य सरकार ही इस पर अपने हिसाब से फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं और कोई भी कानून बना सकती हैं. जबकि सभी किसान संगठन सरकार पर पार्लियामेंट में बिल लाने को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं.इस मामले में एक फसलों की लागत को लेकर भी है.किसान संगठनों का कहना है कि स्वामीनाथन के फॉर्मूले को वर्तमान की महंगाई के हिसाब से तय किया जाए.जब ये रिपोर्ट बनाई जा रही थी, उस समय मजदूरी कम हुआ करता थी लेकिन अब इसके बोझ ने किसानों की कमर तोड़ दी है.जिससे किसानों को अपनी पूरी फसल बेचने के बाद भी कोई खास मुनाफा नहीं होता.किसान संगठनों का साफ कहना है कि सरकार सभी फसलों को लेकर संपूर्ण MSP की बात करे.इसपर एक कानून लेकर आए.तभी इन समस्याओं को सुलझाया जा सकता है. अब देखना होगा कि सरकार और किसानों के बीच इस तनातनी और तनाव के माहौल का अंत कब होता है.लांकि किसानों के कारण ही शंभू बॉर्डर को सील कर दिया गया है और कई इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को भी रोक दिया गया है। 101 किसानों के जत्थे ने दिल्ली की तरफ पैदल मार्च भी किया था लेकिन उन्हें दिल्ली में घुसने से पहले रोक दिया गया था.

Gargi Chandre
Author: Gargi Chandre

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