राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सभापति को निष्पक्ष होना चाहिए। सभापति राजनीति से परे होते हैं, उन्होंने पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। खरगे ने आगे कहा कि आज सदन में चर्चा कम और राजनीति ज्यादा हो रही है, उनके आचरण से देश की गरिमा को नुकसान पहुंचा है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि वह कभी सरकार की शान में कसीदे पढ़ने लगते हैं, कभी खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का एकलव्य बताते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सभापति सीनियर-जूनियर का भी खयाल नहीं रखते और विपक्षी नेताओं के लिए राजनीतिक बयानबाजियां करने लगते हैं।
सभापति ने हमारे साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है-खड़गे
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद किया। उन्होंने कहा कि साल 1952 के बाद से अब तक अनुच्छेद 67 के तहत कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया क्योंकि उपराष्ट्रपति कभी राजनीति में शामिल होते नहीं दिखते थे। इस कुर्सी पर कई लोग बैठे और बहुत काम किया। उन्होंने कहा कि इतने लंबे कालखंड में किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया क्योंकि सबने गैरपक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया। लेकिन आज हमें पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण दुख के साथ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ रहा है। राज्यसभा में नियमों पर राजनीति को प्राथमिकता दी गई। सभापति ने हमारे साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उपराष्ट्रपति लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होता है।
“I am deeply saddened that the Chairman has left us with no choice but to proceed with this notice. Over the past three years, instead of allowing members to raise critical issues, he has resorted to reprimanding senior Opposition leaders. He consistently attempts to insult… pic.twitter.com/xh5vPHyd4H
— Congress (@INCIndia) December 11, 2024
“सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-राज्यसभा के सभापति का आचरण पद की गरिमा के उलट ही रहा है सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। वह विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हैं और सरकार की प्रशंसा करते नजर आते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं। सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। सभापति अधिक व्यवधान डालते हैं उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं। खड़गे ने कहा कि विपक्षी दल संरक्षण के लिए चेयरमैन के पास जाते हैं लेकिन जब सभापति ही प्रधानमंत्री का खुला गुणगान करने में लगा रहे तो हम कहां जाएं।
