संसद के शीतकालीन सत्र का आज 14वां दिन है। इस सत्र में देश में संविधान को अपनाए जाने के 75वें वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय बहस शुरू हो गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बहस की शुरुआत की। भाजपा की तरफ से 12 से 15 नेता इस चर्चा में हिस्सा लेंगे। कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अन्य नेता संविधान पर बोलेंगे। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी की संसद में पहली स्पीच होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 दिसंबर दिन शनिवार की शाम को लोकसभा सदन में ही संविधान पर आज होने वाली चर्चा पर अपना जवाब पेश करेंगे।
‘संविधान निर्माण के कार्य को हाईजैक करने की कोशिश की गई’
संविधान पर चर्चा शुरू करते राजनाथ सिंह ने कहा कि हम भारत के लोगों ने 26 नवम्बर 1949 को संविधान को अपनाया था। उन्होंने संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस सदन और देश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई दी। चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि हमारा संविधान सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन के सभी पहलुओं को छूकर राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है। संविधान सिर्फ कानून दस्तावेज नहीं, राष्ट्र निर्माण का रास्ता तय करता है। यह लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। संविधान निर्माण में बहुत से लोगों की भूमिका को जानबूझकर नकारा गया। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि एक पार्टी विशेष द्वारा संविधान निर्माण के कार्य को ‘हाईजैक’ करने की कोशिश की गई है।
Speaking in Lok Sabha during Discussion on the 75th anniversary of the adoption of the Constitution of India. https://t.co/7p5Y1IBdhC
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 13, 2024
‘हमारी सरकार ने संविधान को खुले और सच्चे मन से स्वीकार किया है’
राजनाथ सिंह ने आगे कहा “पिछले कुछ वर्षों में देश में ऐसा माहौल बनाया गया कि संविधान एक खास वर्ग के लोगों के लिए है। संविधान निर्माण में बहुत से लोगों की भूमिका को जानबूझकर नकार दिया गया। संविधान स्वाधीनता संग्राम के हवनकुंड से निकला हुआ अमृत है। हमारी सरकार ने संविधान को खुले और सच्चे मन से स्वीकार किया है। संविधान की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने फैसले लिए हैं। मुझे गौरव की अनुभूति है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना से काम कर रही है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर का बिना नाम लिए हुए कहा, ‘इस देश में एक ऐसा राज्य भी था, जहां संसद के कानून और संविधान लागू नहीं होता था। हमने वहां पर भी सब लागू किया। अब चुनाव भी हुआ और रिकॉर्ड मतदान हुआ। हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई।’
‘यह भारत के इतिहास और भारत की महान परंपरा का प्रतीक’
राजनाथ सिंह ने कहा कि संविधान पर हस्ताक्षर करने वालों में 11 महिलाएं भी शामिल थीं। जब भी संविधान के जनक पिताओं की बात होती है तो उसकी जननियों को भुला दिया जाता है। आज मैं उन्हीं जननियों को श्रद्धांजलि देता हूं। एक किताब में इन जननियों का जिक्र किया और इनके नाम हैं- अम्बू स्वामिनाथन, अमृत कौर, हंस मेहता, रेणुका रे, पूर्णिमा बनर्जी, कमला चौधरी आदि। राजनाथ सिंह ने आगे बताया कि संविधान के लिखित और पब्लिशड दस्तावेज में क्या-क्या है? उन्होंने बताया कि संविधान के मौलिक अधिकारों वाले खंड में मां सीता, श्री राम, लक्ष्मण की तस्वीरें छपी हैं। मेन पेज पर अजंता-अलोरा की तस्वीर है। कमल का फूल भी उकेरा गया है। यह आकृतियां समृद्ध भारत के इतिहास और भारत की महान परंपरा का प्रतीक हैं।
