प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस और अमेरिका के दौरे से दिल्ली वापस लौट आए हैं। दिल्ली के सीएम पद को लेकर जारी अटकलों पर जल्द विराम लग सकता है। नया सीएम और नई सरकार के शपथ ग्रहण की तारीख का ऐलान हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में 19 या 20 फरवरी को शपथग्रहण हो सकता है। 17 या 18 फरवरी को बीजेपी विधायक दल की बैठक हो सकती है। बीजेपी के 48 में से 15 विधायकों के नाम छांटे गए हैं, उसमें से 9 नाम शॉर्ट लिस्ट किए जाएंगे। इन्हीं में से मुख्यमंत्री, मंत्री और स्पीकर का नाम तय किया जाएगा।
आज हो सकती है शीर्ष नेताओं की बैठक
पीएम के साथ गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा और बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बैठक होगी। आज या कल पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग होने वाली है और इसमें मंथन के बाद दिल्ली के नए सीएम का नाम सामने आ जाएगा। सूत्रों के हवाले खबर है कि इससे पहले 14 फरवरी को दिल्ली के सीएम का नाम फाइनल कने से जुड़ी बैठक हुई, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष समेत एल संतोष , वीरेंद्र सचदेवा ,हर्ष मल्होत्रा ,पवन राणा मौजूद रहे. कहा जा रहा है कि बीजेपी की ओर से जीती गईं 48 सीटों के विधायकों में से 15 का नाम चुना गया है। काट छांट के बाद इसमें से 9 को चुना जाएगा, जिनमें से एक CM और बाकी मंत्री बेनेंगे।
CM की रेस में ये नाम हैं प्रमुख दावेदार
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे पर्वेश वर्मा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को हराकर बड़ा उलटफेर किया। उनकी दो बार के पश्चिम दिल्ली सांसद के रूप में अनुभव और आरएसएस समर्थित पृष्ठभूमि उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है। वहीं वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व दक्षिण दिल्ली नगर निगम के प्रभारी आशीष सूद भी मजबूत दावेदार हैं। उन्होंने जनकपुरी विधानसभा सीट से 68,986 वोटों के साथ जीत दर्ज की। नगर निगम प्रशासन में उनका अनुभव और पार्टी के विभिन्न प्रभारों में भूमिका उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त बनाती है। जबकि पूर्व दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष और रोहिणी से लगातार तीसरी बार विजयी विजेन्द्र गुप्ता ने भी अपनी सीट 37,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीती। विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उनके अनुभव और दिल्ली की राजनीतिक पृष्ठभूमि की गहरी समझ उन्हें एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित करती है। इसके साथ ही पूर्व दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने मालवीय नगर से जीत हासिल की है। आरएसएस के करीबी सहयोगी के रूप में उनका राजनीतिक कैरियर मजबूत है, और उनकी संगठनात्मक क्षमता और शासकीय अनुभव उन्हें मुख्यमंत्री के पद के लिए एक और सशक्त विकल्प बनाते हैं।
बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। आम आदमी पार्टी को महज 22 सीटें मिली हैं और दिल्ली की सत्ता उससे छिन गई है। 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली में सरकार बनने वाली है. ऐसे में सीएम और मंत्रियों को दी जाने वाली जिम्मेदारी पर चर्चा होना लाजमी है. देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली के सीएम का पद और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
