मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद हथियारों का सरेंडर जारी है। अबतक 6 जिलों के 300 से ज्यादा लोगों ने 87 तरह के हथियार, गोला-बारूद और अलग-अलग सामान लोग स्वेच्छा से सरेंडर कर रहे हैं। इंफाल ईस्ट, बिश्नुपुर, थौबल, कांगपोकपी, जिरीबाम, चुराचांदपुर और इंफाल वेस्ट जिलों में हथियार सरेंडर किए गए हैं। सबसे अधिक हथियार इम्फाल पश्चिम जिले में सौंपे गए. इनमें 12 कार्बाइन मशीन गन और मैगजीन भी शामिल हैं। राज्पाल के आदेश के बाद कई हथियार सरेंडर हो चुके हैं। राज्य के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला द्वारा सभी समुदायों से मणिपुर में लंबे समय से चल रही जातीय हिंसा को खत्म करने के प्रयासों के तहत सात दिनों के भीतर लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियार और गोला-बारूद अपनी मर्जी से सरेंडर करने के आह्वान किया था, जिसके बाद अब सरेंडर की समय सीमा खत्म होने से पहले कई उग्रवादी ग्रुप्स ने अवैध हथियारों को सरेंडर कर दिया है।
मैतेई ग्रुप ने सरेंडर किया लूटा हुआ सामान
प्रेसिडेंट रूल के 14 दिन बाद एक बड़ा सरेंडर हुआ है। मुख्य धारा में लौटने का वादा करके आए लोग अपने साथ बहुत भारी तादाद में लूटे हए हथियार लेकर वापस आए हैं। गुरुवार को मैतेई ग्रुप अरामबाई टेंगगोल के सदस्यों ने हथियार सरेंडर करने की समय सीमा खत्म होने से पहले गुरुवार को राज्य सरकार को 246 हथियार सरेंडर कर दिए। तेई ग्रुप द्वारा अवैध हथियारों के साथ-साथ सुरक्षाबलों के हेलमेट, जूते, वर्दी और प्रोटेक्शन जैकेट भी सरेंडर की हैं इस ग्रुप ने हथियार सरेंडर करने से पहले मंगलवार को राज्य के राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की थी, जहां उन्होंने आश्वासन दिया कि हथियार सरेंडर करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।
मणिपुर में 13 फरवरी को लगा था राष्ट्रपति शासन
मणिपुर में 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाया। यह फैसला मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के 4 दिन बाद लिया गया। सिंह ने 9 फरवरी को गवर्नर को इस्तीफा सौंपा था। मणिपुर में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की और ओर से नए नेता के बारे में कोई फैसला नहीं किया जा सका तो ऐसी स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। राज्य में 21 महीने (3 मई 2023) से जारी जातीय हिंसा के चलते 300 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
