ईद के दिन हाफिज सईद के करीबी अब्दुल रहमान का काम तमाम!
कराची में मारा गया मोस्ट वांटेड का फाइनेंसर
ईद का दिन पाकिस्तान के लिए एक बड़ी खबर लेकर आया। 28 मार्च 2025 को कराची में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ, जब हाफिज सईद के करीबी सहयोगी और लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख फाइनेंसर अब्दुल रहमान को मार गिराया गया। यह खबर पाकिस्तान और भारत दोनों देशों में सनसनी पैदा कर गई। अब्दुल रहमान को एक आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ माना जाता था और वह कई वर्षों से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था।
कैसे हुआ मारा जाना?
सूत्रों के अनुसार, अब्दुल रहमान की लोकेशन को लेकर खुफिया जानकारी मिली थी। इसके बाद पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने कराची में एक ऑपरेशन चलाया। सुरक्षा बलों ने उसे पकड़ने के लिए एक छापा मारा, लेकिन इस दौरान अब्दुल रहमान ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने आत्मरक्षार्थ जवाबी कार्रवाई करते हुए उसे मार गिराया।
अब्दुल रहमान का आतंकवादी कनेक्शन
अब्दुल रहमान हाफिज सईद के करीबी सहयोगी के रूप में जाना जाता था, जो लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हैं। लश्कर-ए-तैयबा को भारत में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिनमें 2008 का मुंबई हमला भी शामिल है। अब्दुल रहमान का नाम कई आतंकी गतिविधियों में सामने आया था, और वह पाकिस्तान में कई बड़े आतंकी नेटवर्कों का फाइनेंसर था। उसकी गिरफ्तारी और मारे जाने के बाद यह माना जा रहा है कि आतंकी संगठन को एक बड़ा झटका लगा है।
सुरक्षा बलों की सफलता और प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के सुरक्षा बलों के अनुसार, अब्दुल रहमान की मौत एक बड़ी सफलता है। पाकिस्तान सरकार ने इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा कदम बताया है। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि अब्दुल रहमान की मौत से पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को कम करने में मदद मिलेगी।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय अधिकारियों ने इसे आतंकवाद के खिलाफ एक सकारात्मक कदम माना है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत करना होगा और ऐसे तत्वों को पूरी तरह से समाप्त करना होगा, जो पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत का यह भी कहना है कि जब तक पाकिस्तान में आतंकवादी नेटवर्क पूरी तरह से नष्ट नहीं होते, तब तक पूरी दुनिया को खतरा बना रहेगा।
अब्दुल रहमान की मौत के असर
अब्दुल रहमान की मौत पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के लिए एक बड़ा धक्का है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इससे आतंकवाद की समस्या का हल नहीं होगा। लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन अपनी गतिविधियों को जारी रख सकते हैं, क्योंकि उनका नेटवर्क बहुत मजबूत और व्यापक है।
इस घटना को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान अब अपनी आतंकवाद विरोधी नीतियों को और मजबूत करेगा और क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान को इस दिशा में और अधिक दबाव बनाएगा?
निष्कर्ष
ईद के दिन हाफिज सईद के करीबी सहयोगी अब्दुल रहमान की मौत ने साबित कर दिया कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही हैं। हालांकि, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अभी लंबी है और पाकिस्तान को अपनी नीतियों को और सख्त करना होगा, ताकि आतंकवादियों के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए जा सकें।
