प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (6 मई) को दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित विकसित भारत समिट को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Modi) ने मंगलवार को पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने के फैसले के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अब भारत का पानी देश के भीतर ही रहेगा और भारत के लोगों की जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
“भारत का पानी देश के हित में बहेगा और देश के काम आएगा”
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब लोग अब देश को देखते हैं, तो वे गर्व से कह सकते हैं कि “लोकतंत्र काम कर सकता है”, और इस बात पर जोर दिया कि सरकार जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से सकल जन सशक्तिकरण (जीईपी) पर आधारित प्रगति की ओर बढ़ रही है। नदियों को आपस में जोड़ने पर किए गए काम के बारे में बोलते हुए मोदी ने चुटकी ली कि पानी हाल ही में मीडिया में गहन चर्चा का विषय है। उन्होंने कहा, “पहले भारत का हक का पानी भी देश से बाहर जा रहा था। अब भारत का पानी देश के हित में बहेगा और देश के काम आएगा।” PM Modi ने आगे कहा कि हमारी सरकार देशहित में फैसला लेने से नहीं डरती है। एक समय था जब कोई बड़ा कदम उठाने से पहले यह सोचा जाता था कि दुनिया क्या सोचेगी। वोट मिलेगा या नहीं मिलेगा, कुर्सी बचेगी या नहीं, कई स्वार्थों के कारण बड़े फैसले टलते जा रहे थे। कोई भी देश ऐसे आगे नहीं बढ़ सकता है, लेकिन अब हमारी उनकी सरकार नेशन फर्स्ट की भावना से फैसले करती है।
राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देना लक्ष्य-प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत न केवल सुधार कर रहा है, बल्कि दुनिया के साथ सक्रिय रूप से जुड़कर खुद को एक जीवंत व्यापार और वाणिज्य केंद्र भी बना रहा है। उन्होंने कहा, “बड़े फैसले लेने और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देना और देश की क्षमता पर विश्वास करना महत्वपूर्ण है।” मोदी ने कहा, “दशकों तक देश में एक विपरीत धारा चलती रही। एक समय था जब कोई बड़ा फैसला लेने से पहले यह सोचा जाता था कि ‘दुनिया क्या सोचेगी? हमें वोट मिलेंगे या नहीं?’ और ऐसे कारणों से फैसले और बड़े सुधार ठंडे बस्ते में चले जाते थे।” उन्होंने कहा कि देश ऐसे आगे नहीं बढ़ता और जब फैसलों का आधार ‘राष्ट्र प्रथम’ होता है तो यह आगे बढ़ता है।
क्या है सिंधु जल संधि और क्यों हुई रद्द?
यह संधि साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी। इसमें यह तय किया गया था कि सिंधु नदी प्रणाली की 6 प्रमुख नदियों का पानी दोनों देशों में कैसे बंटेगा। भारत को व्यास, रावी और सतलुज नदियों का अधिक हिस्सा मिला था, जबकि झेलम, चिनाब और सिंधु का बहाव पाकिस्तान के हिस्से में था। यह फैसला 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हो गई थी। इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ बताया गया है।
