क्या अब बेकाबू हो जाएगा ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम? जंग के साए में संसद से पास हुआ नया बिल, बढ़ी वैश्विक चिंता
मध्य-पूर्व की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। ईरान की संसद ने हाल ही में एक ऐसा बिल पारित किया है, जिसने दुनिया भर में बेचैनी बढ़ा दी है। इस बिल के मुताबिक, अगर पश्चिमी ताकतों और IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) का दबाव नहीं रुका, तो ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को “बिना किसी प्रतिबंध” के आगे बढ़ा सकता है।
जंग के माहौल में लिया गया यह फैसला सिर्फ ईरान के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन गया है। सवाल उठने लगे हैं — क्या अब बेकाबू हो जाएगा ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम?
🧨 क्या है नया बिल?
13 जून 2025 को ईरानी संसद (मजलिस) में बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें यह साफ कहा गया:
“यदि IAEA और पश्चिमी देश एकतरफा दमनात्मक रुख अपनाते हैं, तो ईरान को अपने वैज्ञानिक अनुसंधान और उन्नत परमाणु क्षमताओं को किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध से मुक्त करने का पूरा अधिकार होगा।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका और इज़राइल के साथ ईरान के संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं। हाल ही में हुई एयरस्ट्राइक और परमाणु साइट्स पर हमलों के बाद, तेहरान अब खुद को रक्षात्मक से हमलावर मुद्रा में बदलता दिख रहा है।
🇮🇷 ईरान का पुराना स्टैंड क्या रहा है?
ईरान हमेशा से यह दावा करता रहा है कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है — ऊर्जा उत्पादन, चिकित्सा, और वैज्ञानिक अनुसंधान।
- ईरान NPT (Non-Proliferation Treaty) का सदस्य है।
- 2015 में हुए JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) के तहत ईरान ने अपने संवर्धन कार्यक्रम को सीमित किया था।
- लेकिन 2018 में अमेरिका के इस डील से बाहर निकलने के बाद, ईरान ने धीरे-धीरे अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दीं।
अब, जब युद्ध का माहौल बना हुआ है, तो ईरान अपनी सॉवरेन राइट्स की दुहाई देते हुए न्यूक्लियर संवर्धन तेज़ करने की बात कर रहा है।
🌍 IAEA की आपत्ति क्या है?
इस महीने IAEA ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें ईरान को उसके “अप्रसार दायित्वों” के उल्लंघन के लिए फटकार लगाई गई। IAEA के मुताबिक:
- ईरान ने 60% से अधिक यूरेनियम संवर्धन (enrichment) किया है, जो परमाणु हथियार के लिए आवश्यक है।
- कई अघोषित साइट्स की निगरानी नहीं की जा रही है।
- ईरान ने IAEA के इंस्पेक्टर्स को कुछ लोकेशन पर पहुंच की अनुमति नहीं दी।
यहाँ से ईरान और IAEA के रिश्ते में दरारें और गहरी हो गईं।
💥 क्या बन सकता है खतरा?
अगर ईरान खुले तौर पर परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में बढ़ता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
- इज़राइल की तत्काल प्रतिक्रिया — पहले भी इज़राइल ने कहा है कि वह ईरान को परमाणु शक्ति नहीं बनने देगा, चाहे इसके लिए उसे एकतरफा सैन्य कार्रवाई करनी पड़े।
- सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों का जवाब — क्षेत्रीय शस्त्रीकरण की नई होड़ शुरू हो सकती है।
- IAEA की साख पर सवाल — यदि ईरान का कार्यक्रम अनियंत्रित होता है, तो वैश्विक परमाणु निगरानी तंत्र की भूमिका पर संदेह गहराएगा।
- भारत जैसे देशों के लिए रणनीतिक संतुलन की चुनौती — जो दोनों पक्षों के साथ संबंध बनाए रखना चाहते हैं।
🔍 भारत की नज़र
भारत ने अब तक इस मसले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन चूंकि भारत ईरान से तेल आयात और चाबहार पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स में रुचि रखता है, इसलिए उसे इस टकराव को बेहद सतर्कता से देखना होगा।
अगर ईरान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से पूरी तरह बाहर निकलता है, तो भारत को उसके साथ आर्थिक रिश्ते संभालने में कठिनाई हो सकती है
ईरान का नया बिल सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं है — यह एक कड़ा संदेश है दुनिया को। जब कोई देश जंग और घेराबंदी के बीच खुद को अकेला पाता है, तो वह कोई भी कदम उठा सकता है — यह बिल उसी मनोस्थिति की उपज है।
अब यह देखना बाकी है कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान के साथ डायलॉग की मेज़ पर वापस आता है या दबाव की नीति से हालात और बिगाड़ देता है।
कहीं ऐसा न हो कि यह नया बिल भविष्य में दुनिया के लिए एक और परमाणु संकट का कारण बन जाए।
