“पाकिस्तान के वजीरिस्तान में सेना पर भीषण सुसाइड अटैक: 13 जवान शहीद, सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था”
शनिवार की सुबह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से एक हिला देने वाली खबर आई। उत्तरी वजीरिस्तान के एक संवेदनशील इलाके में पाकिस्तानी सेना के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ। इस हमले में 13 जवानों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 10 अन्य गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला न केवल सेना के लिए एक गहरा झटका है बल्कि पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
यह हमला उस वक्त हुआ जब सेना का काफिला नियमित पेट्रोलिंग पर था। एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी को सैन्य वाहनों के बीच घुसाकर जबरदस्त विस्फोट कर दिया। धमाका इतना भयानक था कि आसपास के इलाकों में भी इसकी गूंज सुनी गई। मौके पर अफरा-तफरी मच गई। सुरक्षाबलों ने तुरंत इलाके को सील कर राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
घायलों को हेलीकॉप्टर के जरिए पेशावर और बन्नू के सैन्य अस्पतालों में भेजा गया, जहां कई की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।
हमले की जिम्मेदारी और संदिग्ध संगठन
हालांकि अभी तक किसी संगठन ने आधिकारिक तौर पर इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन शक की सुई तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) या उससे जुड़े चरमपंथी गुटों की ओर जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में TTP ने खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में सुरक्षा बलों पर कई हमले किए हैं। इनका मकसद पाकिस्तानी सेना का मनोबल गिराना और क्षेत्र में डर फैलाना रहा है।
उत्तर वजीरिस्तान: आतंकी गतिविधियों का गढ़
उत्तर वजीरिस्तान एक समय पाकिस्तान में आतंकवाद की सबसे बड़ी शरणस्थली माना जाता था। हालांकि पाकिस्तान सरकार और सेना ने यहां कई बार सैन्य ऑपरेशन चलाए, लेकिन क्षेत्र में लगातार बढ़ते हमले यह संकेत देते हैं कि कट्टरपंथी अभी भी सक्रिय हैं और रणनीति बदल-बदल कर वार कर रहे हैं।
यह इलाका अफगानिस्तान सीमा के पास है, जहां सीमापार से भी आतंकियों को समर्थन और शरण मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
आम नागरिकों में डर और गुस्सा
इस हमले ने न केवल सुरक्षा बलों को झकझोर कर रख दिया है बल्कि स्थानीय लोगों में भी भय और असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है। आम नागरिक पूछ रहे हैं कि अगर सेना खुद सुरक्षित नहीं है तो उन्हें कौन बचाएगा?
वहीं सोशल मीडिया पर लोग गुस्से में हैं। कई लोग सरकार और सैन्य नेतृत्व से जवाब मांग रहे हैं कि आखिर कब तक जवानों की शहादत यूं ही होती रहेगी?
राजनीतिक प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और आर्मी चीफ ने हमले की निंदा की है और इसे कायराना हरकत बताया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को हर संभव सहायता देने की घोषणा की है। हालांकि विपक्षी दलों ने सुरक्षा व्यवस्था की विफलता पर सवाल उठाते हुए सरकार को घेरा है।
पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अगर अब भी ठोस रणनीति नहीं बनाई गई तो देश फिर से 2010 के दशक जैसी आतंकवादी घटनाओं के दौर में लौट सकता है।
भारत की नजर से घटना का विश्लेषण
हालांकि यह हमला पाकिस्तान की सीमा के भीतर हुआ, लेकिन भारत के लिए भी यह घटना अहम है। पाकिस्तान में आतंकी संगठनों का सक्रिय होना और सेना पर सफल हमले इस बात का संकेत हैं कि आतंकवाद के खिलाफ जमीनी स्तर पर प्रयास कमज़ोर पड़ रहे हैं।
भारत हमेशा कहता रहा है कि जब तक पाकिस्तान अपने घर को ठीक नहीं करेगा, तब तक क्षेत्र में स्थायित्व संभव नहीं है।
उत्तरी वजीरिस्तान का यह आत्मघाती हमला न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरे की घंटी है। यह साबित करता है कि चरमपंथी ताकतें अभी भी सक्रिय हैं और उन्हें रोकने के लिए केवल सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, खुफिया सुदृढ़ीकरण और जनता को साथ लेने की जरूरत है।
जब तक पाकिस्तान अपने ही देश में आतंक की जड़ों को काटने के लिए निर्णायक कदम नहीं उठाता, तब तक ऐसे हमले रुकने वाले नहीं हैं।
