दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता हैं। वर्तमान 14वें दलाई लामा(Dalai Lama) तेनजिन ग्यात्सो वर्ष 1950 से इस भूमिका में हैं। वे न केवल धार्मिक नेता हैं, बल्कि तिब्बत की स्वायत्तता और सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक भी हैं। इस बीच तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे बड़े आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने एक ऐसा बयान जारी किया है, जिसने दुनियाभर के उनके अनुयायियों को गहरी राहत दी है। हालांकि उनके बयान से चीन की चिंता बढ़ गई है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनकी मृत्यु के बाद भी दलाई लामा की 600 साल पुरानी परंपरा जारी रहेगी और उनके उत्तराधिकारी यानी 15वें दलाई लामा(Dalai Lama) की पहचान सिर्फ तिब्बती परंपरा और गदेन फोद्रंग ट्रस्ट के जरिए ही होगी।
अगली पुनर्जन्म प्रक्रिया का पूरा जिम्मा गदेन फोद्रंग ट्रस्ट को मिला
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए स्पष्ट किया है कि दलाई लामा की संस्था भविष्य में भी जारी रहेगी। उन्होंने यह बयान 24 सितंबर 2011 को हुए उस ऐतिहासिक सम्मेलन के संदर्भ में दिया जिसमें उन्होंने पहली बार यह मुद्दा उठाया था कि क्या दलाई लामा की परंपरा को भविष्य में जारी रखा जाना चाहिए या नहीं। दलाई लामा ने कहा कि चीन को इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं दी जाएगी। उन्होंने 24 सितंबर 2011 के अपने पुराने बयान का ज़िक्र करते हुए कहा कि अगली पुनर्जन्म प्रक्रिया का पूरा जिम्मा गदेन फोद्रंग ट्रस्ट का ही होगा। बता दें, यह ट्रस्ट उनके आधिकारिक कार्यालय के रूप में काम करता है। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट, तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों और धर्म रक्षकों से सलाह करेगा। इसके बाद ही पारंपरिक प्रक्रियाओं के तहत नए दलाई लामा की पहचान की जाएगी।
Dalai Lama ने याद दिलाया 1969 का वाकया
दलाई लामा(Dalai Lama) ने याद दिलाया कि वे 1969 में ही यह कह चुके थे कि दलाई लामा के पुनर्जन्म की परंपरा को जारी रखने का निर्णय तिब्बती जनता और संबंधित लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि जब वे लगभग 90 वर्ष के होंगे, तब वे तिब्बती बौद्ध परंपराओं के वरिष्ठ लामाओं और जनता से इस विषय पर विचार-विमर्श करेंगे। हालांकि, इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा नहीं हुई, लेकिन पिछले 14 वर्षों में तिब्बती संसद, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, धार्मिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों, और विभिन्न देशों के बौद्ध अनुयायियों विशेषकर तिब्बत के भीतर रहने वाले तिब्बतियों ने उनसे निवेदन किया कि दलाई लामा(Dalai Lama) की संस्था को जारी रखा जाए।
90वें जन्मदिन से पहले Dalai Lama के बयान ने बढ़ाई चीन की टेंशन
6 जुलाई को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले जारी किए गए इस बयान का दुनिया भर में उनके लाखों बौद्ध फॉलोवर्स पर असर पड़ेगा। यह बीजिंग के लिए भी एक मैसेज है, जो लंबे वक्त से इस इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए तिब्बती धार्मिक परंपराओं को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है। दलाई लामा(Dalai Lama), ल्हासा में चीनी शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद 1959 में भारत भाग आए थे, तब से हजारों तिब्बतियों के साथ निर्वासन में रह रहे हैं। जबकि चीन उन्हें अलगाववादी और विद्रोही कहता है। वे कई लोगों के लिए अहिंसा, करुणा और अपनी पहचान को बनाए रखने के लिए तिब्बती संघर्ष के ग्लोबल आइकन बने हुए हैं।
