महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी हलचल! CM फडणवीस और आदित्य ठाकरे की मुलाकात से उठे सियासी कयास
🔥 महाराष्ट्र की राजनीति में गर्मी तेज़!
महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय अचानक हलचल तेज हो गई है। जो चेहरे हाल तक एक-दूसरे पर शब्दों के बाण चला रहे थे, अब उनके बीच सौहार्द्र और मुलाकातों की खबरें सामने आ रही हैं।
सबसे पहले खबर आई कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को मज़ाक-मज़ाक में ‘साथ आने’ का ऑफर दिया। पहले तो इसे हंसी में उड़ा दिया गया, लेकिन जल्द ही एक ऐसी मुलाकात ने इसे गंभीर बना दिया जो किसी ने उम्मीद नहीं की थी।
🏨 फडणवीस और आदित्य ठाकरे की होटल मीटिंग!
सूत्रों के मुताबिक, मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे के बीच एक निजी मुलाकात हुई है।
बैठक अनौपचारिक थी, लेकिन समय, स्थान और गोपनीयता ने राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट पैदा कर दी है।
🤝 पुरानी दुश्मनी, नया समीकरण?
2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच तल्खी बढ़ गई थी। उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से नाता तोड़कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास आघाड़ी सरकार बनाई थी।
लेकिन अब जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उससे लगता है कि राजनीति में ना कोई स्थायी दोस्त होता है, ना दुश्मन।
🗣️ फडणवीस ने क्यों दिया “ऑफर”?
कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में देवेंद्र फडणवीस ने मंच से हंसी में कहा था:
“अगर उद्धव जी चाहें तो फिर से साथ आ सकते हैं, दरवाजे खुले हैं।”
उस समय यह मज़ाक लगा, लेकिन अब जब उद्धव और फडणवीस दोनों के बीच संवाद की खबरें आने लगी हैं, तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
🎯 क्या बीजेपी-शिवसेना फिर साथ आएंगे?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी दल अपने विकल्प खुला रखना चाहते हैं।
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बीजेपी को शरद पवार की पार्टी पर भरोसा नहीं है
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शिवसेना (उद्धव गुट) को MVA में लगातार किनारे किया जा रहा है
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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण, जल संकट, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को ठोस विपक्ष की जरूरत है
इन हालात में पुराना दुश्मन फिर से दोस्त बन जाए तो आश्चर्य नहीं।
🧠 राजनीतिक विश्लेषकों की राय
प्रो. अजय देशमुख (राजनीति विशेषज्ञ):
“ये मुलाकातें संयोग नहीं, प्रयोग हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में आने वाले दिनों में बहुत कुछ उलट-पुलट हो सकता है।”
विनायक राव (पूर्व विधायक):
“आदित्य ठाकरे की बैठकें दर्शाती हैं कि शिवसेना (उद्धव गुट) भी समझ गया है कि अकेले चलना मुमकिन नहीं है।”
💼 NCP की चुप्पी और कांग्रेस की बेचैनी
इस पूरे घटनाक्रम पर NCP (अजित पवार गुट) चुप है और कांग्रेस को बेचैनी है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने ऑफ रिकॉर्ड कहा,
“अगर उद्धव फिर से बीजेपी की तरफ जाते हैं, तो MVA का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।”
📌 निष्कर्ष: बड़ी सियासी तस्वीर क्या होगी?
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शिवसेना (उद्धव गुट) और बीजेपी के बीच संभावित गठजोड़ से MVA में फूट पड़ सकती है
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कांग्रेस के लिए यह झटका होगा
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एनसीपी के अजित पवार पहले ही बीजेपी के साथ हैं, अगर उद्धव भी जाते हैं तो राज्य की राजनीति फिर पूरी तरह बदल सकती है
क्या आप मानते हैं कि उद्धव और फडणवीस फिर से साथ आ सकते हैं? नीचे कमेंट करें और इस लेख को शेयर करें।
