राहुल गांधी का क़बूलनामा -कांग्रेस सरकार में मुझसे ये गलती हो गई… — जाति जनगणना पर बड़ा बयान, क्या बदलेगा सियासी गणित?
लेखक: Rahul Chandre: 25 जुलाई 2025
राजनीति में स्वीकृति और आत्म-आलोचना दुर्लभ होती है। खासकर तब, जब कोई नेता अपने ही कार्यकाल की गलती को खुले मंच से स्वीकारे। लेकिन राहुल गांधी ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वे परिपक्व राजनीति की ओर बढ़ रहे हैं।
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने जाति जनगणना (Caste Census) को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा—
“कांग्रेस सरकार में मुझसे ये गलती हो गई कि हम जाति जनगणना को लेकर उतने सक्रिय नहीं रहे, जितना रहना चाहिए था।”
इस बयान ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि यह 2029 की तैयारियों की एक झलक भी माना जा रहा है।
🧩 जाति जनगणना: मुद्दा क्या है?
भारत में जनगणना हर 10 साल में होती है, लेकिन जातिगत आंकड़े 1931 के बाद से सार्वजनिक नहीं हुए हैं।
जाति जनगणना की मांग खासकर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समाज से जुड़ी है, जो चाहता है कि उनकी आबादी के सही आंकड़े सामने लाए जाएं, ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं और आरक्षण में वास्तविक हिस्सेदारी मिल सके।
🔍 राहुल गांधी का बयान क्यों अहम?
राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि:
“दलितों की कठिनाइयों को समझना आसान है। आदिवासियों के मुद्दे भी सामने दिखते हैं। लेकिन ओबीसी समाज के दर्द और समस्याएं अक्सर छुप जाती हैं।”
यह बयान सिर्फ एक सामाजिक टिप्पणी नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कांग्रेस अब ओबीसी समाज को अपने पक्ष में लाने की पूरी तैयारी में है।
⚖️ राजनीतिक गलती या रणनीतिक चूक?
राहुल गांधी ने अपनी ही पार्टी की पिछली सरकार की नीतियों पर सवाल उठाकर एक तरफ ईमानदारी दिखाई, तो दूसरी ओर 2025 के माहौल में एक बड़ा सियासी दांव भी खेला है।
उनका यह बयान सीधे तौर पर:
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ओबीसी मतदाताओं से संवाद बनाने की कोशिश है,
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BJP की OBC राजनीति को चुनौती देने की तैयारी,
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और आगामी चुनावों के लिए नया सामाजिक आधार गढ़ने का प्रयास।


🗣️ विपक्ष की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के इस बयान पर BJP और JDU जैसे दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
भाजपा नेताओं ने इसे “राजनीतिक पाखंड” बताया और कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक OBC को सिर्फ वोट बैंक समझा।
वहीं कुछ वामपंथी और समाजवादी नेताओं ने राहुल के बयान का स्वागत करते हुए कहा कि “देर आए, दुरुस्त आए।”
📌 कांग्रेस की नई रणनीति?
इस बयान के बाद यह साफ होता जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी अब OBC वर्ग के लिए अलग नीति और घोषणाएं ला सकती है।
संभावनाएं ये भी हैं कि कांग्रेस 2029 के लिए अपने घोषणापत्र में जाति जनगणना को प्रमुख वादा बना सकती है।
साथ ही, यह भी मुमकिन है कि राहुल गांधी “भारत जोड़ो यात्रा” की तर्ज पर OBC जोड़ो संवाद यात्रा जैसा कोई अभियान भी छेड़ें।
📊 भारत की सामाजिक सच्चाई और आंकड़ों की ज़रूरत
अब तक भारत में:
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SC की जनसंख्या ~16% मानी जाती है
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ST की ~8%
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लेकिन OBC की जनसंख्या के बारे में केवल अनुमान हैं, जो ~45-50% तक मानी जाती है।
बिना सही आंकड़ों के नीतियां अधूरी और आरक्षण असंतुलित माना जाता है।
🧭 आगे का रास्ता
जाति जनगणना पर राहुल गांधी का यह बयान एक सांस्कृतिक-सामाजिक विमर्श की शुरुआत है।
यह सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय के सिद्धांत को मजबूत करने की पहल भी हो सकती है।
लेकिन असली सवाल यह है—
क्या कांग्रेस अब सिर्फ बयानबाज़ी से आगे बढ़कर व्यवहारिक कदम उठाएगी?
राहुल गांधी का “कांग्रेस सरकार में मुझसे गलती हो गई…” वाला बयान न केवल राजनीतिक साहस दिखाता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि कांग्रेस अब सामाजिक न्याय को केवल नारा नहीं, नीति बनाने के मूड में है।
जाति जनगणना अब सिर्फ आंकड़ों का सवाल नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गहराई और समानता की बुनियाद बनता जा रहा है। देखना यह होगा कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर कितनी दूर तक जाते हैं और कितना असर छोड़ पाते हैं।
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