प्राकृतिक आपदा का कहर: उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने से मची तबाही
उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित धराली गांव में बीती रात एक भीषण बादल फटने (Cloudburst) की घटना सामने आई, जिससे गांव में भारी तबाही मच गई। यह घटना न केवल भौगोलिक दृष्टिकोण से खतरनाक थी, बल्कि मानवीय दृष्टि से भी अत्यंत दर्दनाक रही।
तेज़ बारिश, मलबा, टूटी सड़कें और बहते मकान — ऐसा मंजर जिसने न केवल धराली को तबाह किया, बल्कि वहां के लोगों की रातें भी उजाड़ दीं।
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क्या हुआ धराली गांव में?
शनिवार रात लगभग 2 बजे, अचानक तेज़ बारिश के साथ बादल फटने जैसी घटना हुई। चंद मिनटों में पूरा गांव मलबे, चट्टानों और पानी में समा गया। गांव की सड़कें बह गईं, कई घरों को नुकसान पहुंचा, खेतों में कीचड़ भर गया और नदियां अपने उफान पर आ गईं।
स्थानीय निवासी रमेश राणा बताते हैं:
“हम सो रहे थे, तभी अचानक एक जोरदार आवाज़ आई। समझ ही नहीं आया क्या हुआ। जब बाहर निकले तो पानी और कीचड़ हमारे दरवाज़े तक आ चुका था।”
Uttrakhand -उत्तरकाशी के धराली गांव में फटा बादल: तबाही के मंजर ने हिला दी रूह
उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने से मची तबाही
जानमाल का नुकसान कितना हुआ?
👉 3 लोगों के लापता होने की खबर है, जिनकी तलाश में एसडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमें लगी हुई हैं। 👉 कई मकान आंशिक रूप से ध्वस्त हो चुके हैं। 👉 मवेशी बह गए, फसलें बर्बाद हो गईं और बिजली-पानी की व्यवस्था ठप हो चुकी है।
हालांकि अब तक किसी बड़े जनहानि की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन हालात बेहद चिंताजनक हैं।
जैसे ही घटना की सूचना मिली, एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। मलबे में दबे लोगों को निकालने का काम जारी है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर कहा:
“धराली गांव में बादल फटने की दुखद खबर मिली है। सभी प्रभावितों की सहायता के लिए प्रशासन सक्रिय है। हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है।”
राहत शिविर लगाए गए हैं और स्थानीय मंदिरों व स्कूलों को अस्थायी ठिकानों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
धराली की भौगोलिक स्थिति और संवेदनशीलता
धराली गांव उत्तरकाशी के गंगोत्री क्षेत्र में पड़ता है, जो कि हिमालय की गोद में बसा है। यह इलाका भूस्खलन और भारी बारिश की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है।
हर साल मानसून में यहां इस तरह की आपदाएं आती हैं, लेकिन बढ़ता पर्यटन, जलवायु परिवर्तन और अवैज्ञानिक निर्माण कार्य इस संवेदनशीलता को और खतरनाक बना रहे हैं।
क्या यह जलवायु परिवर्तन का संकेत है?
विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित मानवीय गतिविधियां इसका बड़ा कारण मानी जा रही हैं।
👉 तापमान में वृद्धि 👉 ग्लेशियर का तेजी से पिघलना 👉 अनियंत्रित निर्माण 👉 जंगलों की कटाई
इन सभी ने उत्तरकाशी जैसे क्षेत्रों को विनाश की ओर धकेल दिया है।
स्थानीय लोगों का दर्द
गांव के बुजुर्ग किशन दास ने कहा:
“हमने अपनी ज़िंदगी में ऐसा कहर पहले कभी नहीं देखा। पहले भी बारिश होती थी, लेकिन इतनी तबाही नहीं होती थी। अब तो हर बारिश डरावनी लगती है।”
सरकार से मांग और जरूरी कदम
धराली गांव की घटना एक चेतावनी है कि अगर स्थायी समाधान नहीं किए गए, तो आगे और भी बड़े हादसे हो सकते हैं।
माँगे:
गांवों को भूस्खलन और बाढ़ क्षेत्रों से हटाया जाए
अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत किया जाए
सभी संवेदनशील क्षेत्रों में इको-फ्रेंडली प्लानिंग हो
स्थायी राहत शिविर और पुनर्वास केंद्र बनाए जाएं
निष्कर्ष: प्रकृति की चेतावनी या मानव की भूल?
धराली गांव में बादल फटना एक प्राकृतिक आपदा ज़रूर है, लेकिन इसका मूल कारण मानव की लापरवाही और प्रकृति के साथ खिलवाड़ भी है। यह हादसा हम सभी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम आने वाले समय के लिए तैयार हैं?
🙏 प्रार्थना करते हैं कि जो लोग प्रभावित हैं उन्हें जल्द राहत मिले और इस प्रकार की घटनाओं से हम कुछ सीख सकें।