पुतिन का ट्रंप को करारा जवाब: “भारत पर दबाव नहीं चलेगा, इसे हम खतरा मानेंगे”
🇷🇺 रूस ने भारत के समर्थन में दिखाया दम, अमेरिका को दी कड़ी चेतावनी
दुनिया की बड़ी ताक़तों के बीच व्यापार को लेकर जारी तनातनी अब एक और नए मोड़ पर पहुंच गई है। रूस ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस धमकी का करारा जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने भारत समेत अन्य देशों को चेताया था कि अगर वे रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं, तो उन्हें टैरिफ (आर्थिक प्रतिबंध) झेलने पड़ सकते हैं।
रूस ने न सिर्फ ट्रंप के इस बयान की आलोचना की, बल्कि खुलकर भारत के साथ खड़ा भी नजर आया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने साफ कहा कि—
“किसी भी देश को यह निर्देश देना कि वह रूस के साथ व्यापार करे या न करे, पूरी तरह से **गैरकानूनी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानूनों के खिलाफ है। अगर भारत पर ऐसा कोई दबाव बनाया गया, तो हम इसे एक ‘थ्रेट’ यानी खतरे के तौर पर लेंगे।”
📌 मामला क्या है?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बने, तो जो देश रूस या चीन के साथ व्यापार करते रहेंगे, उन पर भारी टैरिफ लगाएंगे। ट्रंप के इस बयान का सीधा संकेत भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और कुछ एशियाई देशों की ओर था, जो रूस के साथ खुले तौर पर व्यापारिक संबंध रखते हैं।
इस बयान ने वैश्विक राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका खुद दुनिया में नए रणनीतिक गठजोड़ बनाने की कोशिश में जुटा है।
🇮🇳 भारत का रुख साफ: हम अपने राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता नहीं करेंगे
भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह स्वतंत्र विदेश नीति अपनाता है और अपने फैसले राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर लेता है। चाहे वह रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने का मामला हो, या डिफेंस डील्स, भारत ने किसी दबाव में आकर अपने फैसले नहीं बदले हैं।
भारत की नीति “वसुधैव कुटुम्बकम” पर आधारित है और वह सभी देशों के साथ सहयोग चाहता है – न कि टकराव।

💬 रूस ने क्यों दिया भारत का समर्थन?
रूस और भारत के संबंध सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं हैं। ये एक रणनीतिक साझेदारी है जो दशकों पुरानी है। रूस समझता है कि भारत न सिर्फ एशिया बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक अहम खिलाड़ी बन चुका है। ऐसे में भारत पर किसी भी प्रकार का बाहरी दबाव रूस को स्वीकार नहीं है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि—
“भारत जैसे संप्रभु राष्ट्र को धमकाना सिर्फ अनुचित ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के सिद्धांतों के भी खिलाफ है।”
📉 अमेरिका की बढ़ती चिंताएं: चीन और रूस के करीब जा रहे देश
अमेरिका को इस बात की चिंता है कि एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई देश अब चीन और रूस की ओर झुक रहे हैं। ब्रिक्स (BRICS) देशों का विस्तार, चीन-रूस का मजबूत गठजोड़ और भारत जैसे देश की स्वतंत्र विदेश नीति – यह सब अमेरिका की रणनीति के लिए एक बड़ी चुनौती है।
ट्रंप की धमकी का मकसद शायद इन देशों को झुकाना हो, लेकिन इसका असर उल्टा पड़ सकता है।

🌍 भारत-रूस व्यापार: आंकड़ों में जानिए कितना मजबूत है रिश्ता
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₹3 लाख करोड़ से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार (2024-25 अनुमान)
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रूस से भारत को सस्ता कच्चा तेल, गैस, कोयला, यूरिया आदि मिल रहा है
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भारत ने रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम जैसे अहम हथियार खरीदे हैं
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रूस में भारतीय कंपनियों का निवेश और तकनीकी सहयोग भी तेजी से बढ़ा है
🤝 आगे क्या हो सकता है?
इस घटनाक्रम से यह तो तय है कि आने वाले समय में विश्व राजनीति और व्यापार को लेकर अमेरिका, रूस और भारत के बीच तनाव और बढ़ सकता है। हालांकि भारत की स्थिति इतनी मजबूत हो चुकी है कि वह दबाव में आकर फैसले नहीं करेगा।
रूस पहले ही चीन, ईरान और भारत जैसे देशों के साथ डॉलर-फ्री ट्रेडिंग सिस्टम को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में अमेरिका की टैरिफ धमकियों का असर सीमित रह सकता है।
भारत को धमकाना आसान नहीं
डोनाल्ड ट्रंप की धमकी भले ही अमेरिका की रणनीतिक चिंता को दर्शाती हो, लेकिन भारत जैसे लोकतांत्रिक और आर्थिक रूप से सशक्त देश पर इसका कोई असर पड़ने वाला नहीं है। रूस का समर्थन एक बार फिर यह साबित करता है कि भारत अब वैश्विक मंच पर एक निर्णायक शक्ति बन चुका है — जिसे धमकाना आसान नहीं।
🙏 जय हिन्द!
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पुतिन का ट्रंप को करारा जवाब:












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