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ट्रंप का 25% अतिरिक्त टैरिफ, पुतिन का तगड़ा ऑफर — भारत के लिए नई रणनीति

ट्रंप का 25% अतिरिक्त टैरिफ, पुतिन का तगड़ा ऑफर

ट्रंप का 25% अतिरिक्त टैरिफ, पुतिन का तगड़ा ऑफर — भारत के लिए नई रणनीति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% टैरिफ की घोषणा की — जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। वे आरोप लगाते हैं कि भारत की यह कार्रवाई «युद्ध इंजन को ईंधन देने जैसा है» — और इसका उद्देश्य रूस पर आर्थिक दबाव डालना है।
“We hear many statements that are in fact threats… sovereign countries should have… the right to choose…” — ये कहना था क्रेमलिन प्रवक्ता का, जिन्होंने इसे अवैध दबाव बताया


पुतिन का पलटवार: विशेष छूट की पेशकश

रूस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है — उसने भारत को ५% छूट के साथ तेल की पेशकश की है, ताकि टैरिफ का असर कम किया जा सके और व्यापार जारी रहे 
रूसी राजनयिक रोमन बाबुश्किन ने कहा:

“If Indian goods are facing difficulties entering the US market, the Russian market is welcoming Indian exports… This is a perfect case of mutual accommodation…”

यह स्पष्ट संकेत है कि ऊर्जा और व्यापार संबंधों में राजनीति के बीच नई रणनीतिक रिश्तेदारी बन रही है।


अमेरिका-भारत संबंधों पर गहरता दबाव — अब उत्पीड़न या दबाव?

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन अब ट्रेड को रणनीतिक उपकरण बना रहा है, न कि आर्थिक संरक्षण का साधन। ये टैरिफ्स विदेश नीति का हिस्सा बन चुके हैं 
कुछ अमेरिकी सांसद नए कानून (Sanctioning Russia Act) पर काम कर रहे हैं, जिसमें 500% तक टैरिफ लगाने की सिफारिश हो सकती है, यदि कोई देश रूस से ऊर्जा खरीदता रहा


भारत की चुनौती: आर्थिक झटका या सामरिक स्वायत्तता?

भारतीय उद्योगपतियों जैसे उदय कोटक ने यह कदम “मजबूत झटका” बताया है — विशेषकर छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) के लिए 
लेकिन भारत ने इसका जवाब स्पष्ट रूप से दिया है कि ये टैरिफ “अनुचित, अव्यवहारिक और असंगत” हैं — और वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाता रहेगा


आगे का रास्ता: क्या होगी अगली चाल?

उद्देश्य / पहलू विवरण
टैक्सिन्री दबाव ट्रंप का मकसद रूस पर वार्ता के लिए दबाव डालना और भारत की मध्यस्थता को चुनौती देना है।
रूस की रणनीति ५% छूट और व्यापार खोलकर पुतिन भारत को स्थिर सहयोगी बनाए रखना चाहते हैं।
भारत की रणनीति अपनी ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय स्वायत्तता बनाए रखना; विकल्पों जैसे अरब, ब्राजील, मध्य पूर्व की ओर भी नजर।
दुनियाई प्रभाव एशिया-पैसिफिक में नए साझेदार उभर रहे हैं; ट्रंप के अप्रत्याशित कदम देशों को एक-दूसरे के और करीब ला रहे हैं
ऊर्जा बाजार ऐसे टकरावों का तेल बाजार पर सीमित प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि आपूर्ति surplus है और बाजार लचीला है

ट्रंप की नीति स्पष्ट संदेश देती है: “यदि आप रूस से तेल लेना जारी रखते हैं तो अमेरिकी बाजार से बाहर रहिए।” मगर पुतिन ने ऐसा भी संकेत दिया कि दुनिया के बड़े हिस्सों में व्यापार का रास्ता अभी बंद नहीं हुआ है। यह टैरिफ-दबाव की रणनीति अब वैश्विक ऊर्जा और राजनीतिक नक्शे को फिर से आकार दे रही है।

भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने में जुटा है, जबकि नए आर्थिक वास्तविकताओं को भी स्वीकार करना पड़ रहा है। आगे की राह काफी पेचीदा है — और इस स्थिति का असर आने वाले महीनों में साफ दिखेगा।

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Author: newsviewss

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