रहस्य- एक ऐसा शब्द जिसे सुनकर आप उसके बारे सोचने पर मजबूर हो जाते है। जब हम किसी रहस्यमयी जगह के बारे में सुनते या जानते हैं तो हम उस स्थान के रहस्य के बारे में जानने या वहां घूमने के लिए और अधिक उत्साहित हो जाते हैं और आप उन स्थानों के बारे खोज करने लगते है।देखा जाये तो भारत में कई ऐसे रहस्यमयी जगहे भी है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बनी हुई है। जहां अधिक से अधिक लोग जाकर उन रहस्यमयी स्थानों को घूमना व उन जगह के बारे में जानना चाहते है।
आज हम आपको एक ऐसे पत्थर की जानकारी देने जा रहे हैं जिसने गुरुत्वाकर्षण के नियमों को भी मात दे दी। यह विराट पत्थर देखने पर तो ऐसा लगता है जैसे अभी नीचे लुढ़क जाएगा परंतु आज तक इस पत्थर को कोई हिला भी नहीं पाया है।
ये विशालकाय पत्थर दक्षिणी भारत में चेन्नई के महाबलीपुरम में है.महाबलिपुरम का ये पत्थर करीब 20 फीट ऊंचा है और करीब 15 फीट इसकी चौड़ाई है। पत्थर एक ढलान पर करीब 4 फीट के आधार पर स्थिर टिका हुआ है। न यह हिलता है और न ही लुढ़कता है। इस पत्थर का वजन करीब 250 टन है। इतना विशाल पत्थर होने के बाद भी ये पत्थर एक ढलान पर सैकड़ों वर्षों से खड़ा हुआ है। यहां आने वाले लोग पत्थर को देखकर हैरान हो जाते हैं कि आखिर यह पत्थर अपनी जगह टिका कैसे हैं।
आपको भी ये तस्वीरें हैरान कर रही होंगी परंतु यही सत्य है। कहा जाता है कि वर्ष 1908 में उस वक्त के मद्रास के गवर्नर आर्थर की नजर इस पत्थर पर पड़ी तो उन्हें लगा कि कहीं यह विशाल पत्थर किसी दुर्घटना का कारण ना बन जाए इस वजह से उन्होंने इस पत्थर को वहां से हटवाने के लिए 7 हाथियों से खिंचवाया फिर भी यह पत्थर अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ।
लोगों की मान्यता के अनुसार इस पत्थर से जुड़ी एक कहानी यह भी है कि कुछ लोग इस पत्थर को ‘कृष्णा की बटर बॉल’ भी कहते हैं। क्योंकि उनका मानना है कि यह पत्थर मक्खन की गेंद है जो भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय मक्खन का प्रतीक है तथा स्वयं स्वर्ग से गिरा है। इस पत्थर के बारे में अब तक यह राज नहीं खुल पाया है कि इसे किसी इंसान के द्वारा खड़ा किया गया है या प्रकृति द्वारा। पत्थर का रहस्य आज भी बना हुआ है। 7वीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासन काल में महाबलीपुरम में कई स्मारक बनाए गए थे। आज यही स्मारक पर्यटकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं।
