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ट्रंप और जिनपिंग की मीटिंग में सुलझेगा टैरिफ विवाद? तय हो गया सबकुछ; चीन ने कर दिया बड़ा खुलासा

ट्रंप और जिनपिंग की मीटिंग में सुलझेगा टैरिफ विवाद?

ट्रंप और जिनपिंग की मीटिंग में सुलझेगा टैरिफ विवाद? तय हो गया सबकुछ; चीन ने कर दिया बड़ा खुलासा

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं — अमेरिका और चीन — के बीच चल रही टैरिफ जंग अब शायद अपने आखिरी मोड़ पर है। लंबे तनाव, बयानबाजी और आर्थिक दबाव के बाद आखिरकार उम्मीद की एक किरण दिखाई दी है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को पुष्टि की कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात दक्षिण कोरिया में तय हो गई है, और इसमें टैरिफ विवाद को लेकर निर्णायक बातचीत होगी।

Donald Trump Xi Jinping Meet | US-China Trade War | Tariff Talks Update 2025


क्या हुआ?

पिछले कुछ महीनों से अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव चरम पर था। ट्रंप ने चीनी आयात पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिससे वैश्विक बाजारों में हड़कंप मच गया।
इस बीच, चीन ने अपने बयान में कहा कि वह बातचीत से हर विवाद का हल निकालने में विश्वास रखता है — और यही वजह है कि दोनों देशों के शीर्ष नेता अगले हफ्ते दक्षिण कोरिया में मिलने जा रहे हैं।

मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा,

“दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग से ही आर्थिक स्थिरता लौट सकती है। हमें उम्मीद है कि यह बैठक रचनात्मक होगी।”


कब और कहाँ होगी मुलाकात?

यह बैठक सियोल (दक्षिण कोरिया) में अगले सोमवार को आयोजित की जाएगी। यह 2025 की सबसे महत्वपूर्ण राजनयिक मुलाकातों में से एक मानी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच व्यापार, तकनीकी सहयोग, सेमीकंडक्टर निर्यात और डॉलर युआन स्थिरता पर चर्चा होगी।

यह मुलाकात G-20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हो रही है, जिससे संकेत मिलता है कि वैश्विक आर्थिक नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

ट्रंप के टैरिफ पर चीन के दूत का मोर्चा
ट्रंप के टैरिफ पर चीन के दूत का मोर्चा

क्यों है यह मीटिंग अहम?

अमेरिका और चीन के बीच 2018 से जारी ट्रेड वॉर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया था।
ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया था कि चीन अपने उद्योगों को अनुचित सब्सिडी देता है और अमेरिकी तकनीक की नकल करता है।
वहीं चीन ने कहा था कि अमेरिका उसका विकास रोकने की कोशिश कर रहा है।

इस विवाद की वजह से:

  • वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित हुई,

  • कंपनियों का उत्पादन लागत बढ़ा,

  • और निवेशकों का भरोसा डगमगाया।

अगर यह विवाद अब सुलझ जाता है, तो इसका सीधा असर एशिया से लेकर यूरोप तक के बाजारों पर पड़ेगा।


अब तक क्या तय हुआ?

सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों ने बातचीत के कई बिंदुओं पर प्रारंभिक सहमति बना ली है —

  • अमेरिका कुछ चुनिंदा सेक्टरों पर टैरिफ कम करने को तैयार है।

  • चीन अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए मार्केट एक्सेस बढ़ाने का वादा करेगा।

  • दोनों देश फार्मा, टेक और ग्रीन एनर्जी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हैं।

हालांकि, अंतिम घोषणा दोनों नेताओं की बैठक के बाद ही होगी।


क्या कहा अमेरिका ने?

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता केटलिन मिलर ने बयान में कहा:

“राष्ट्रपति ट्रंप यह मानते हैं कि मजबूत बातचीत ही समाधान है। अमेरिका निष्पक्ष व्यापार चाहता है, लेकिन चीन को अपनी नीतियों में पारदर्शिता लानी होगी।”

इस बयान से साफ है कि ट्रंप सख्त रुख बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन साथ ही डील के लिए दरवाजा खुला छोड़ रहे हैं।


दुनिया की नज़र इस मुलाकात पर क्यों?

यह मीटिंग सिर्फ दो देशों के बीच नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन की दिशा तय करेगी।
चीन दुनिया की फैक्ट्री है, और अमेरिका उसका सबसे बड़ा ग्राहक।
अगर दोनों के बीच समझौता होता है, तो:

  • तेल और सोने के दाम स्थिर होंगे,

  • शेयर बाजारों में तेजी आएगी,

  • और निवेशकों का भरोसा लौटेगा।


ट्रंप और जिनपिंग की मुलाकात 2025 की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना साबित हो सकती है।
जहां एक तरफ दुनिया नए शीत युद्ध के खतरे से चिंतित है, वहीं यह बैठक एक नई आर्थिक साझेदारी का रास्ता खोल सकती है।

अगर बातचीत सफल रही, तो यह दुनिया के लिए राहत की खबर होगी — और अगर नहीं, तो वैश्विक बाजार फिर से हिल सकते हैं।


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