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360 किलो विस्फोटक, टाइमर और हथियार, उत्तर भारत को दहलाने की कैसे रची गई आतंकी साजिश, पूरी कहानी

360 किलो विस्फोटक, टाइमर और हथियार

360 किलो विस्फोटक, टाइमर और हथियार, उत्तर भारत को दहलाने की कैसे रची गई आतंकी साजिश, पूरी कहानी

उत्तर भारत को दहलाने वाली आतंकी साजिश की कहानी एक ऐसे खुलासे से शुरू होती है जिसने न केवल पुलिस को, बल्कि पूरे देश को भी चौंका दिया। जम्मू-कश्मीर पुलिस की सतर्कता और बेहतरीन संवादहीनता से एक ऐसी साजिश का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें 360 किलो विस्फोटक, कई टाइमर, घातक हथियार, और पढ़े-लिखे युवाओं का इस्तेमाल शामिल था। यह आतंक की नई चुनौती, और इसके पीछे दहशतगर्द नेटवर्क की तकनीकी होशियारी को उजागर करता है।


क्या हुआ: आतंक की बड़ी साजिश का पर्दाफाश

  • जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में फरीदाबाद के धोयज गांव के एक किराए के मकान से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट, असॉल्ट राइफल, भारी मात्रा में गोला-बारूद, 20 टाइमर, वॉकी-टॉकी, वायरिंग और अन्य बम बनाने वाले उपकरण बरामद किए।

  • इस ऑपरेशन की शुरुआत सहारनपुर से पकड़े गए जम्मू-कश्मीर के डॉक्टर आदिल अहमद राथर की गिरफ्तारी से हुई। पूछताछ में उसने नेटवर्क से जुड़े अहम तथ्य उगले, जिससे जांच आगे बढ़ी और फरीदाबाद में पढ़ रहे डॉक्टर मुज़म्मिल शकील तक पुलिस पहुंची।

  • दोनों आरोपी मेडिकल/पढ़े-लिखे पेशेवर थे, जिन्होंने आतंक का नेटवर्क मजबूत करने के लिए तकनीकी और अकादमिक कुशलता का इस्तेमाल किया​

  • Al-Falah School of Engineering and Technology
    Al-Falah School of Engineering and Technology

क्यों हुआ: आतंकी नेटवर्क का मंसूबा

  • पूछताछ से सामने आया कि इस पूरे नेटवर्क का उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सिलसिलेवार विस्फोट और दहशत फैलाना था।

  • विस्फोटकों एवं हथियारों की मात्रा यह साफ बताती है कि आतंकी एक बार नहीं, बल्कि एक से अधिक हमले करने की योजना बना रहे थे।

  • शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ कि गिरफ्तार आरोपी पाकिस्तान में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर्स के सीधे संपर्क में थे।

  • आतंकियों ने स्थानीय नेटवर्किंग, नकली दस्तावेज़, और किराए के मकान की आड़ लेकर अपने षड्यंत्र को छुपाए रखा​


कब हुआ: पूरी टाइमलाइन

  • करीब दो हफ्ते तक पुलिस की गुप्त जांच जारी रही।

  • डॉक्टर आदिल की गिरफ्तारी सबसे पहला बड़ा सुराग बनी, जिसने फरीदाबाद में डॉक्टर मुज़म्मिल तक जांच को पहुंचाया।

  • इसके बाद 8-10 नवंबर 2025 के दौरान लगातार छापेमारी, तलाशी, और फोरेंसिक जाँच की गई, जिसमें बम बनाने का कच्चा माल, हथियार व सूटकेस बरामद हुए।

  • ऑपरेशन अभी भी जारी है और कई अन्य संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है.​

  • Al-Falah School of Engineering and Technology
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पूरी कहानी का सार

यह मामला खासकर इसलिए भी गंभीर है क्योंकि इसमें शामिल आरोपी साधारण छात्र या प्रोफेशनल थे, जिनका प्रयोग आतंकवादियों ने “स्लीपर सेल” के रूप में किया। इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक, हथियारों और आयुध की बरामदगी ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को संभावित भयावह हमले से बचा लिया है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे नेटवर्क की छानबीन शुरू कर दी है।

फरीदाबाद और सहारनपुर से जुड़े इस केस ने आतंकी नेटवर्क की नई तकनीक, भर्ती प्रक्रिया और एक्टीवेशन सिस्टम पर भी प्रकाश डाला है। अजगर जैसे “स्लीपर सेल”, ब्रेनवॉश युवाओं, और मॉडर्न कम्युनिकेशन माध्यमों के प्रयोग का यह ताज़ा उदाहरण है​


 

 

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Author: newsviewss

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